Monday, November 30, 2015

संविधान की शपथ दिलाने अपील

शिवसेना ने आज अपने मुखपत्र सामना के जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से शपथ के लिए पवित्र धार्मिक गंथ्रों की जगह संविधान की शपथ दिलाने अपील की है कि ताकि देश को धर्म के आधार पर हो रही राजनीति से ऊपर उठाया जा सके।
शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में लिखा हैकि दिवंगत बाला साहेब ठाकरे का मानना था कि कानून में सभी धर्म समान हैं। इसलिए संविधान सभी धर्म के लोगों के लिए धार्मिक पुस्तक होनी चाहिए।
सामना ने अपने संपादकीय में लिखा है कि सभी लोगों के लिए कानून एक समान है लेकिन संविधान कानून से भी ऊपर है। इसलिए अदालतों में भी धार्मिक गंथ्रों की बजाय संविधान की शपथ दिलानी चाहिए।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा था कि बाबा साहेब अंबेडकर द्वारा बनाए गए संविधान को बदलना के बारे में सोचना आत्मघाती है। प्रधानमंत्री ने ये भी कहा था कि संविधान एक पवित्र किताब है।

प्रधानमंत्री के उसी बयान पर शिवसेना ने कहा कि प्रधानमंत्री को अब अपनी इस सोच को आगे बढ़ाते हुए देश को धर्म आधारित राजनीति से ऊपर लाने की कोशिश करनी चाहिए।

Friday, November 27, 2015

26 नवंबर, 2008 को हुए आतंकी हमले की सातवीं बरसी

मुंबई में 26 नवंबर, 2008 को हुए आतंकी हमले की सातवीं बरसी पर पुलिस के शहीद जवानों और मृतकों को याद किया गया। इनमें हमले में 166 लोग मारे गए थे।
मुख्य स्मृति कार्यक्रम का आयोजन गुरुवार सुबह पुलिस जिमखाना में किया गया। इसमें महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस और उनके मंत्रिमंडल के सहयोगियों के साथ वरिष्ठ पुलिस अधिकारी मौजूद थे।
फड़नवीस ने पाकिस्तानी आतंकियों का सामना करते समय शहीद हुए पुलिसकर्मियों को श्रद्धांजलि अर्पित की। आतंकियों के खिलाफ ये अभियान 60 घंटे (26 से 29 नवंबर) तक चला था। इसमें आतंकी अजमल कसाब जिंदा पकड़ा गया था। उसे 21 नवंबर 2012 को फांसी दे दी गई।
इस अवसर पर फड़नवीस ने कहा, "मैं बहादुर पुलिसकर्मियों को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। वो मुंबई की सुरक्षा के लिए लड़े। हमारे लिए प्राणों की आहुति दी। हमारी प्राथमिकता पुलिस बल को बेहतर उपकरणों से लैस करने की है।"
26 नवंबर, 2008 को दस पाकिस्तानी आतंकी समुद्री रास्ते से मुंबई पहुंचे थे। कई जगहों पर अंधाधुंध गोलीबारी करने होटल ताज पर कब्जा करके उन्होंने 166 लोगों को मार डाला था। मृतकों में 18 सुरक्षाकर्मी भी थे।

हमले में एटीएस प्रमुख हेमंत करकरे, सेना के मेजर संदीप उन्नीकृष्णन, मुंबई के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त अशोक काम्टे और वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक विजय सालसकर शहीद हो गए थे।

Tuesday, November 24, 2015

सोहराबुद्दीन मुठभेड़ मामले में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को बड़ी राहत

सोहराबुद्दीन मुठभेड़ मामले में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को बड़ी राहत मिली है। अमित शाह को क्लीन चिट दिए जाने के खिलाफ अर्जी को सोहराबुद्दीन के भाई रुबाबुद्दीन ने स्वेच्छा से वापस ले लिया है।
20 अक्टूबर को बॉम्बे हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान जज ने रुबाबुद्दीन को अपनी अर्जी पर बिना किसी दबाव के विचार करने के लिए एक महीने का वक्त दिया था, हालांकि रुबाबुद्दीन ने सोमवार को अर्जी वापस ले लिया।

गौरतलब है कि रुबाबुद्दीन ने 2007 में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश को चिट्ठी लिखा था, जिसमें सोहराबुद्दीन को 2005 में गुजरात एटीएस द्वारा फर्जी मुठभेड़ में मारने का आरोप लगाया था। सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात पुलिस को जांच करने के लिए निर्देश दिये थे।

Monday, November 23, 2015

पीटर मुखर्जी से पूछताछ जारी

महाराष्ट्र सरकार ने शीना बोरा हत्याकांड में 2012 में रायगढ़ पुलिस की ओर से की गई गफलत पर राज्य के पुलिस महानिदेशक से 15 दिनों में एक ताजा रिपोर्ट तलब की है। साथ ही पूछा है कि पीड़िता (शीना बोरा) का शव मिलने के बाद कोई एफआईआर दर्ज क्यों नहीं की गई?
24 वर्षीय शीना बोरा का 23 अप्रैल 2012 में रायगढ़ के पेन तालुका स्थित जंगल में स्थानीय पुलिस को शव मिला था। तब यह कथित अज्ञात शव एक सूटकेस में जली हुई हालत में मिला था। रायगढ़ पुलिस ने तब इस मामले पर कार्रवाई तो दूर एफआईआर भी दर्ज नहीं की थी।
लिहाजा, इस संबंध में पूर्व डीजीपी संजीव दयाल की एक पन्ने की रिपोर्ट को राज्य सरकार ने खारिज कर दिया है। साथ ही मौजूदा डीजीपी प्रवीण दीक्षित को एक नई रिपोर्ट देने को कहा है। महाराष्ट्र सरकार ने मामले की जांच करने का आदेश देते हुए पूछा है कि तब पुलिस ने कोई एफआईआर या एडीआर (एक्सिडेंटल डेथ रिपोर्ट) क्यों तैयार नहीं की?
पीटर मुखर्जी से पूछताछ जारी
सूत्रों के मुताबिक सीबीआई ने शनिवार को पूर्व मीडिया मुगल पीटर मुखर्जी से दक्षिण मुंबई स्थित आफिस में गहन पूछताछ की। इस दौरान सीबीआई ने जानने की कोशिश की कि उसने किस तरह से सुबूत नष्ट किए और अपनी बीवी इंद्राणी मुखर्जी को बचाने के लिए लगातार झूठ बोलकर जांच को गुमराह करने की कोशिश की।
पीटर को शीना की हत्या और हत्या की साजिश के आरोप में गुरुवार को गिरफ्तार किया गया था। उल्लेखनीय है कि पीटर को शुक्रवार को ही मजिस्ट्रेट अदालत ने 23 नवंबर तक के लिए सीबीआई हिरासत में भेजा है।
पिता पर आरोप अपमानजनक: राहुल

दूसरी ओर पीटर मुखर्जी के बेटे और शीना के प्रेमी राहुल मुखर्जी ने शनिवार को कहा कि उसके पिता पर लगाए गए आरोप अपमानजनक हैं। उल्लेखनीय है कि शुक्रवार को पीटर पर हत्या का आरोप अदालत में लगाए जाने के बाद राहुल ने कहा था कि वह अपने पिता पर लगे आरोपों से स्तब्ध है। अगर उसे इस बात का पहले पता होता तो वह अदालत नहीं आता।

Wednesday, November 18, 2015

शिवाजी पार्क के पास तीसरा स्मारक होगा

महाराष्ट्र की भाजपा-शिवसेना सरकार ने दादर स्थित शिवाजी पार्क के ठीक पीछे स्थित मेयर बंगले के परिसर में स्वर्गीय बालासाहब ठाकरे का स्मारक बनाने का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने दिवंगत ठाकरे की तीसरी बरसी पर मंगलवार को यह घोषणा की। विपक्ष की चुप्पी के बीच महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना अध्यक्ष राज ठाकरे ने इस फैसले का विरोध किया है।
शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे की मौजूदगी में मुख्यमंत्री ने कहा कि दो माह में बालासाहब ठाकरे के भव्य स्मारक का प्रारूप तैयार कर लिया जाएगा। फिर लगभग एक वर्ष में स्मारक तैयार हो जाएगा। स्मारक का निर्माण एक न्यास द्वारा किया जाएगा। न्यास के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे होंगे और निर्माण का खर्च राज्य सरकार वहन करेगी।
फड़नवीस ने बताया कि मेयर बंगले को क्षति पहुंचाए बगैर उसके परिसर के बाकी हिस्से में स्मारक का निर्माण होगा। उद्धव ठाकरे ने कहा कि शिवाजी पार्क का शिवसेना एवं बालासाहब ठाकरे के जीवन में विशेष महत्व रहा है। इसलिए उसके नजदीक स्थित मेयर बंगला सबसे उपयुक्त जगह लगी है।
बालासाहब ठाकरे का निधन तीन साल पहले 17 नवंबर को हुआ था। अगले दिन उनका अंतिम संस्कार श्मशान की बजाय शिवाजी पार्क के निकट किया गया था। इसी स्थान पर शिवसेना की स्थापना के बाद से ठाकरे पार्टी की ऐतिहासिक दशहरा रैली को संबोधित किया करते थे।
अंतिम संस्कार के बाद कई महीने तक शिवसेना ने उसी स्थान पर ठाकरे का अस्थायी स्मारक बनाए रखा था। तत्कालीन कांग्रेसनीत सरकार ने अस्थायी स्मारक हटवा दिया था। राज्य में पिछले वर्ष भाजपा-शिवसेना सरकार बनने के बाद से ही शिवसेना ठाकरे के स्थायी स्मारक की मांग उठाती आ रही थी।
उद्धव के चचेरे भाई राज ठाकरे ने कहा है कि स्मारक के बहाने शिवसेना मेयर बंगले पर कब्जा करना चाहती है। राज इस मुद्दे पर अपना विरोध जताने के लिए मुख्यमंत्री से मुलाकात करेंगे।
शिवाजी पार्क के पास तीसरा स्मारक होगा
अरब सागर के किनारे स्थित मुंबई के मेयर बंगला परिसर में स्वर्गीय बाल ठाकरे का स्मारक बनता है तो यह दादर (पश्चिम) क्षेत्र स्थित शिवाजी पार्क के पास बननेवाला तीसरा स्मारक होगा। इससे पहले मेयर बंगले के बिल्कुल बगल में स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर का स्मारक, उससे चंद कदम दूर बाबा साहब अंबेडकर का स्मारक चैत्यभूमि मौजूद है।

चैत्यभूमि से सटी इंदू मिल के 12 एकड़ भूखंड पर आंबेडकर के भव्य स्मारक की आधारशिला पिछले माह ही प्रधानमंत्री के हाथों रखी गई है।

Monday, November 16, 2015

सड़क हादसे में बाल-बाल बच गए- राज ठाकरे

महाराष्‍ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे रविवार को एक सड़क हादसे में बाल-बाल बच गए। खबरों के अनुसार राज ठाकरे की की ठाणे के खरेगांव टोल प्‍लाजा के पास दुर्घटनाग्रस्‍त हो गई लेकिन इसमें किसी को कोई चोट नहीं आई।

बताया जा रहा है कि उनकी एसयूवी को उनके ही काफि‍ले में चल रही एक अन्‍य एसयूवी ने टोल प्‍लाजा के पास पीछे से टक्‍कर मार दी। दुर्घटना के बाद कार्यकर्ताओं ने तुरंत उनके लिए दूसरी कार की व्‍यवस्‍था की जिसमें वो नासिक के लिए रवाना हो गए।

Friday, November 13, 2015

पटाखे को चॉकलेट समझकर खा लिया

दिवाली के दिन महाराष्ट्र के रत्नागिरी में दर्दनाक वाकया हुआ। पांच साल की एक मासूम लड़की ने पटाखे को चॉकलेट समझकर खा लिया। बाद में उसकी मौत हो गई।
जानकारी के मुताबिक, मासूम का नाम दामिनी निकम था। उसका परिवार खेड़ तहसील के तिसांगी गांव का निवासी है।
परिजन ने बताया कि दिवाली वाले दिन दामिनी घर के बाहर खेल रही थी। उसे सड़क पर कोई पटाखा पड़ा हुआ दिखा। उसने चॉकलेट समझकर उसे खा लिया।

हालत बिगड़ने पर उसकी मां नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र ले गई, जहां इलाज के दौरान उसने दम तोड़ दिया। पुलिस ने केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

Thursday, November 12, 2015

छोटा राजन का फिंगरप्रिंट मुंबई पुलिस के पास सुरक्षित

26 जुलाई को मुंबई में आई बाढ़ से कई लोगों की मौत हो गई थी और कई महत्वपूर्ण दस्तावेज नष्ट हो गए थे। लेकिन संयोग से छोटा राजन का फिंगरप्रिंट मुंबई पुलिस के पास सुरक्षित बचा रहा।
इंडोनेशिया में बाली पुलिस द्वारा अंडरवर्ल्ड डॉन को गिरफ्तार किए जाने के बाद उसकी पहचान सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार से फिंगरप्रिंट की मांग की गई। इसके बाद हरकत में आई मुंबई पुलिस ने फाइलों को खंगालना शुरू किया।
इस दौरान तीन टुकड़ों में राजन का फिंगरप्रिंट मिल गया। तीनों टुकड़ों को जोड़कर उसे स्कैन किया गया। वहां से इसे दिल्ली और फिर इंडोनेशिया भेज दिया गया। 36 साल पुराने इस दस्तावेज की मदद से राजन को भारत वापस लाना संभव हो सका।
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि शुरू में बाली पुलिस ने फिंगरप्रिंट की छाया प्रति को साक्ष्य मानने से इन्कार कर दिया और मूल दस्तावेज लाने को कहा। लेकिन भारतीय अधिकारियों द्वारा समझाए जाने के बाद पुलिस अफसर मान गए।
एक अन्य पुलिस अधिकारी ने बताया कि राजन के खिलाफ हत्या का पहला मुकदमा तिलक नगर थाने में दर्ज किया गया था। उसी समय राजन को गिरफ्तार किया गया और उसका फिंगरप्रिंट लिया गया था।

अधिकारी के अनुसार, यदि फिंगरप्रिंट नहीं मिलता तो राजन के किसी रिश्तेदार को इंडोनेशिया ले जाना पड़ता। फिर सुरक्षा एजेंसियों को दोनों का डीएनए मिलान करवाना पड़ता। ऐसे में उसे भारत लाने की प्रक्रिया लंबी हो जाती।

Tuesday, November 10, 2015

शुभकामनायें

साथियों ,

आप सभी को तथा सभी के परिवार को  मेरी और मेरी पत्नी की ओर से दीपावली की  हार्दिक शुभकामनायें

Monday, November 9, 2015

पैसे के दम पर एक बार चुनाव जीता जा सकता

शिवसेना ने अपने मुखपत्र 'सामना' के माध्‍यम से बिहार चुनाव में भाजपा की हार पर करारा प्रहार किया है। इसके जरिए उसने पार्टी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष अमित शाह, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इसके लिए जिम्‍मेदार ठहराया है। मुखपत्र लिखता है कि पैसे के दम पर एक बार चुनाव जीता जा सकता है लेकिन हर बार यह काम नहीं करता है।
'सामना' में शिवसेना ने नीतीश कुमार से अपनी तुलना करते हुए लिखा है कि महाराष्‍ट्र चुनाव में उन्‍हें हराने के लिए भाजपा की तरफ से खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह समेत पूरी कैबिनेट एक होकर चुनावी रण में उतर आई थी। इसके बाद भी शिवसेना को जीत मिली और भाजपा को इसका अंदाजा हो गया कि हम क्‍या हैं। इस बार बिहार चुनाव में भी ऐसा ही हुआ। यहां पर पीएम समेत पूरी कैबिनेट और समस्‍त भाजपा चुनावी मैदान में नीतीश-लालू को हराने के लिए उतर गई थी, लेकिन हुआ इसके उलट।
शिवसेना ने लिखा है कि इस चुनाव में नीतीश की जीत के सबसे बड़े कारण थे कि उन्‍होंने बिना किसी की परवाह किए बिहार में विकास किया और वहीं पीएम ने बिहार और उसकी जनता को पैसे से खरीदने की कोशिश की। पार्टी लिखती है कि केंद्र द्वारा बिहार को दिया गया पैकेज बिहार में वोटों की बोली ही थी। सामना में लिखा है कि इस चुनाव में भाजपा के जो नेता शुरुआत में अपनी जीत के दावे कर गुलाल उड़ा रहे थे वह नतीजे आने से पहले ही छिप कर बैठ गए। इस चुनाव में अपने को राजनीति का चाणक्‍य कहलाने वाले सभी धुरंधर पूरी तरह से फेल हो गए।
पत्र लिखता है कि जिन सर्वों में बिहार विधानसभा में त्रिशंकु विधानसभा की बात कही थी इन नतीजों ने उन्‍हें बुरी तरह से धूल चटाकर रख दी। सामना में कहा गया है कि बिहार राजनीति का गढ़ है। देश की राजनीति यहीं से शुरू होती है और देश के विस्‍फोटक राजनीतिज्ञ भी इसी मिट्टी से ही आते हैं। इसके आगे सामना लिखता है कि यह स्‍वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हार है क्‍योंकि यह चुनाव नीतीश बनाम मोदी ही था। बेहतर होगा कि इस चुनाव के नतीजों से अब भाजपा सबक ले।
शिवसेना के मुखपत्र में लिखा गया है कि भाजपा ने जीत के लिए जो रणनीति बनाई थी वह पूरी तरह से विफल रही है। इसके साथ ही भाजपा के सहयोगी दलों को तो बिहार की जनता ने बीस फीट नीचे जमीन में गाड़ दिया है। इस संपादकीय में शिवसेना ने नीतीश की जहां जमकर प्रशंसा की है वहीं भाजपा को जी भरकर कोसा भी है।

पत्र लिखता है भाजपा के बिहार में जंगलराज का नारा देने के बाद भी नीतीश ने वहां पर कानून का राज कायम किया है, दिखावा नहीं किया, नहीं ही झूठे वादे किए, किसी को पैसे के दम पर खरीदा नहीं और न ही किसी के खिलाफ अपशब्‍दों का प्रयोग किया। प्रधानमंत्री पर तंज कसते हुए सामना लिखता है कि पीएम ने चुनाव में 32 चुनावी सभाएं की लेकिन यहां से उन्‍हें साठ सीटें भी नहीं मिल सकीं।

Friday, November 6, 2015

साफ-सफाई के मामले में सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल

देश में असहिष्णुता को लेकर छिड़ी बहस के बीच रेलवे ने साफ-सफाई के मामले में सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल पेश की है। रेलवे स्टेशनों और ट्रेनों को साफ-सुथरा बनाए रखने में जिस तरह विभिन्न सामाजिक और धार्मिक संगठनों ने मिल-जुलकर कार्य किया है उससे रेलमंत्री सुरेश प्रभु खासा प्रभावित हैं। उन्होंने इसकी सराहना की है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान का सबसे ज्यादा असर अगर कहीं दिखाई देता है तो वह शायद रेलवे में। पिछले एक साल में रेलवे स्टेशनों और ट्रेनों में साफ-सफाई के स्तर में सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिल रहा है। लेकिन इसमें रेलकर्मियों से ज्यादा जन प्रतिनिधियों, निजी प्रतिष्ठानों और धार्मिक व सामाजिक स्वयंसेवी संगठनों की भूमिका है। खासकर धार्मिक संगठनों ने अभियान के जरिए सामाजिक सौहार्द की गंगा-जमुनी तहजीब पेश की है।
इन धार्मिक संगठनों में हिंदू, मुसलिम, सिख, ईसाई समेत सभी समुदायों से जुड़े लोग शामिल हैं। उदाहरण के लिए जहां महाराष्ट्र में कर्मयोगी प्रतिष्ठान के लोगों को मुंबई के किंग्स सर्किल स्टेशन की सफाई का जिम्मा लेते देखा गया है। वहीं संत निरंकारी चेरिटेबल फाउंडेशन के लोगों को कानपुर, मथुरा, पुणे जैसे स्टेशनों में सफाई करते पाया जाता है।

केरल में ईसाई मिशनरियों से जुड़े लोग कभी-कभी स्टेशनों व ट्रेनों को चमकाते देखे जा सकते हैं। जबकि गुरदासपुर स्टेशन की सफाई में मुसलिम संगठनों की भूमिका भी देखी गई है। गुरमीत राम रहीम के डेरा सच्चा सौदा से जुड़े लोग राजस्थान में अजमेर अथवा हरियाणा में हिसार जैसे स्टेशनों पर अक्सर झाड़ू लगाते देखे जाते हैं।

Wednesday, November 4, 2015

इगतपुरी से चोरी हुआ बैग वापस

बीते 4 जनवरी को दूरंतो एक्सप्रेस से सफर कर रहे ठाणे निवासी अखिलेश पांडेय व उनके परिवार का एक हैंड बैग चोरी हो गया और उन्होंने इसके मिलने की आस छोड़ दी थी।
सफर के दौरान चोरी गए इस हैंडबैग में सवा लाख रुपए का मंगलसूत्र, 8 हजार रुपए का मोबाइल, चांदी की ग्लास, अखिलेश का पर्स जिसमें साढ़े तीन हजार रुपए नकद सहित ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड, कई डेबिट व क्रेडिट कार्ड्स रखे हुए थे। इनकी चोरी के बाद उन्होंने इनके मिलने की आस छोड़ दी थी। हालांकि, उन्होंने इसकी चोरी की एफआईआर पुलिस में दर्ज करवा दी थी।
चोरी के काफी दिनों बाद फरवरी माह में अखिलेश को डाक से एक लिफाफा मिला। उन्होंने लिफाफा खोला तो उनके आश्चर्य की कोई सीमा नहीं रही क्योंकि लिफाफे में उनका पैन कार्ड और ड्राइविंग लाइसेंस था। उन्होंने तुरंत लिफाफा देखा और पाया कि यह इगतपुरी पोस्ट ऑफिस से भेजा गया है। उनका बैग भी इगतपुरी से चोरी हुआ था।

पैन कार्ड और ड्राइविंग लाइसेंस मिलने से खुश अखिलेश ने बताया कि चोर ने आधी ईमानदारी दिखाई है। उसने गहने व नकद अपने पास रख लिए और उनके जरूरी कागजात वापस भेज दिए। उन्होंने लिफाफे को इगतपुरी रेलवे पुलिस को सौंप दिया है और इसके आधार पर आगे की छानबीन कर रही है।

Monday, November 2, 2015

बॉम्‍बे में तमिल के डॉन राज किया करते थे

इंडोनेशिया के बाली में अंडरवर्ल्‍ड डॉन छोटा राजन की गिरफ्तारी ने दुनियाभर में उनके धंधों, उनकी शक्‍ितयों और दुश्मनी की बातों को दुनिया के सामने लाया है। अपराधिक गतिविधियों के अलावा, दाऊद इब्राहिम ने खुद को अपने समुदाय के रक्षक नेताओं के रूप में पेश किया है, जो जल्‍द न्‍याय दिलाने और स्‍थानीय झगड़ों को सुलझाने में मदद करते हैं।
एक दौर ऐसा भी था जब बॉम्‍बे में तमिल के डॉन राज किया करते थे। डी कंपनी और राजन की तरह वे भी अपने समुदाय का नेतृत्‍व करते थे। टाइम्‍स ऑफ इंडिया में प्रकाशित एक खबर के अनुसार, ये गरीब प्रवासी धारावी जैसी मलिन बस्तियों में रहा करते थे। 1960 से 80 के दशक तक का बॉम्‍बे (अब मुंबई) काफी हद तक 1920-30 के दशक में शिकागो और इटैलियन माफिया की तर्ज पर चल रहा था।


तस्‍करी, जुआ, वेश्‍यावृत्‍ित और अवैध शराब की बिक्री जैसे धंधों को गैंगस्‍टर नियंत्रित किया करते थे। हाजी मस्‍तान मिर्जा और वरदराजन मुनिस्‍वामी मु‍दलियार भी ऐसे ही प्रवासी थे। संयोग से दोनों का जन्‍म 1 मार्च 1926 को हुआ था। रामनाथपुरम जिले के पनाईकुलम में मस्‍तान का जन्‍म हुआ था, जबकि वरदराजन का जन्‍म मद्रास प्रेसीडेंसी के तुतीकोरिन में हुआ था।
छोटा राजन का मुख्‍य संरक्षक राजन महादेव नायर उर्फ बड़ा राजन दक्षिण का डकैत था, जो उस वक्त वरदराजन के साथ जुड़ा हुआ था। मुंबई में उस दौर में तीन बड़े गैंगस्‍टर हाजी मस्‍तान, अफगान मूल का पठान करीम लाला और वरदराजन हुआ करते थे।

वरदराजन ने अपने इलाके की रक्षा और प्रतिद्वंद्वियों के खतरे को कम करने के लिए बड़ा राजन की मदद मांगी। इससे बड़ा राजन को अपना प्रभाव बढ़ाने में काफी मदद मिली। धीरे-धीरे बड़ा राजन और उसके साथी फिल्‍मों की टिकटों की कालाबाजारी के अलावा पैसों के लेन-देन और संपत्‍ित के विवादों को निपटाने का काम भी देखने लगे।
हाजी मस्‍तान अपने पिता के साथ आठ वर्ष की उम्र में मुंबई आया था। उसने शहर के भीड़-भाड़ वाले इलाके में साइकिल की मरम्‍मत का काम शुरू किया। साल 1944 में मस्‍तान बॉम्‍बे डॉक में काम करने लगा, जहां उसकी मुलाकात करीम लाला से हुई। कुछ छोटे धंधों और तस्‍करी का काम दोनों को आकर्षक लगा।

वर्ष 1955 से 75 के दौर में हाजी मस्‍तान बहुमूल्‍य धातुओं की तस्‍करी का बड़ा खिलाड़ी हो गया और बाद में वह बॉलीवुड में सेलिब्रिटी बन गया। वह फिल्‍मों के निर्माण के लिए डायरेक्‍टर्स और फिल्‍म स्‍टूडियो को पैसा देने लगा। बाद में उसने फिल्‍म प्रोडक्‍शन में पैसा लगाना शुरू कर दिया।
बाद के वर्षों में अंडरवर्ल्‍ड के डॉन ने आतंक फैलाया, जबकि हाजी मस्‍तान को नरमदिल माफिया डॉन माना जाता था। इमरजेंसी के दौर में उसे जेल में बंद कर दिया गया। माना जाता है कि उसने जेल में ही हिंदी सीखी और इसके काफी समय बाद 1984 में वह राजनीति में उतर आया। उसने दलित मुस्लिम सुरक्षा महासंघ बनाया था।
वरदराजन 1960 के दशक में मुंबई आया था और मध्य रेलवे के मुख्य विक्टोरिया टर्मिनस पर एक कुली का काम करने लगा। वह एक मुस्लिम दरगाह के बाहर गरीबों को भोजन कराता था और इस तरह उसे स्‍थानीय लोगों का समर्थन मिला। बाद में उसे अवैध शराब के डिस्‍ट्रीब्‍यूशन में सहयोग करने का मौका मिला।
बॉम्‍बे पोर्ट में हाजी मस्‍तान ने स्‍म‍गलिंग का बिजनेस स्‍थापित कर लिया था। वरदराजन भी सामान की चोरी में शामिल हो गया। बाद में वह भाड़े पर हत्‍याएं, नार्कोटिक्‍स और जमनी पर कब्‍जे करने लगा। एक तमिल डॉन के रूप में वह माटुंगा, सायन, धारावी और कोलीवाडा में अपने समुदाय में इज्‍जत पाने लगा। बताया जाता है कि वहां उसने कई मामलों के निपटारे में मध्‍यस्‍तता की।
तमिलनाडु में मुरुगन का भक्‍त वरदराजन बाद में गणेश भक्‍त बन गया और गणेशउत्‍सव के दौरान उसने बॉम्‍बे में पंडाल लगाना शुरू किया। मगर, 1980 के दशक के मध्‍य में उसे पंडाल खाली करने के लिए पुलिस ने नोटिस भेजा। इसी दौरान उसके कई सदस्‍यों को जेल में बंद कर दिया गया और कुछ साथियों को पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया।

इसके बाद वह मुंबई से चेन्‍नई भाग गया, जहां जनवरी 1988 तक व‍ह निर्वासित जिंदगी बिताते हुए हार्ट अटैक से मर गया। वरदराजन की इच्‍छा को पूरी करते हुए हाजी मस्‍तान उसके शव को चार्टड प्‍लेन से मुंबई लाया, जहां लोगों ने उसे श्रद्धांजलि दी। मुंबई में 1994 में हाजी मस्‍तान की भी मौत हो गई।