Monday, April 1, 2013

राष्ट्रपति से अपील है कि संजय दत्त को आत्मसमर्पण के लिए कम से कम छह महीने का समय दिया जा


1993 के मुंबई सीरियल ब्लास्ट मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा संजय दत्त को सुनाई गई सजा की माफी की गुहार पर उठे विवाद के बाद अब उनके फिल्मी साथियों ने यह मांग उठाई है कि सरेंडर करने के लिए उन्हें कुछ महीनों की मोहलत दी जाए, ताकि वे अपनी अधूरी फिल्मों का काम पूरा कर सकें और फिल्म इंडस्ट्री करोड़ों रुपये की तबाही झेलने से बच जाए। मगर समर्थन के मसले पर फिल्म इंडस्ट्री में एकमत नहीं है। फिल्म क्राफ्ट से जुड़े 22 विविध संगठनों की शीर्ष संस्था 'फेडरेशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया सिने एम्प्लॉइज' ने कमालिस्तान स्टूडियो में शनिवार को संजय दत्त के प्रति एकजुटता दिखाने के लिए उनके समर्थन में एक रैली का आयोजन किया, जिसमें में ढाई सौ लोगों ने भाग लिया। 

रैली का नेतृत्व फेडरेशन के महासचिव दिनेश चतुर्वेदी ने किया। मुन्नाभाई सिने कामगारों का प्यार देखकर द्रवित हो गए। महेश भट्ट तथा मान्यता दत्त भी वहां मौजूद थे। दिनेश चतुर्वेदी ने कहा कि संजय दत्त के जेल जाने से उनकी सात अधूरी फिल्मों का भविष्य अंधकार में डूब जाएगा और निर्माताओं को होने वाले करोड़ों के नुकसान का खामियाजा अंतत: कामगारों को झेलना पड़ेगा। पारिश्रमिक के पैसे अटक जाने से उनके परिवार के समक्ष भुखमरी की नौबत आ जाएगी। 
फेडरेशन की राष्ट्रपति से अपील है कि संजय दत्त को आत्मसमर्पण के लिए कम से कम छह महीने का समय दिया जाए। मुन्नाभाई के मुद्दे पर भावी रणनीति तय करने के लिए फेडरेशन ने मंगलवार को जनरल काउंसिल की आपात बैठक बुलाने का मन बनाया है, मगर फेडरेशन से जुड़े कुछ संगठनों ने खुलकर इस कदम का कड़ा विरोध किया है। पार्श्वगायकों के संगठन 'सिने सिंगर्स असोसिएशन' तथा सिने संपादकों 'असोसिएशन ऑफ फिल्म ऐंड विडियो एडिटर्स' का कहना है कि संजय दत्त के प्रति किसी भी प्रकार की सहानुभूति या नरमी नहीं बरती जानी चाहिए। दोनों संगठनों ने कमालिस्तान में हुई रैली में भी हिस्सा लेने से इनकार कर दिया। 

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