Wednesday, November 17, 2010

वह जिस भी क्राइम ब्रांच की यूनिट या पुलिस स्टेशन में प्रभारी बनकर गए, उसे चमाचम कर दिया।

जब कोई एलटीमार्ग पुलिस स्टेशन जाता है, तो उसकी खूबसूरती देखकर पहले-पहल तो उसे लगता है कि कहीं वह किसी कॉर्पोरेट हाउस तो नहीं आ गया है, लेकिन जब वह हकीकत जानता है, तो उसे विश्वास नहीं होता है कि वह किसी पुलिस स्टेशन में बैठा है। अरुण बोरूडे का यह शौक है कि वह जिस भी क्राइम ब्रांच की यूनिट या पुलिस स्टेशन में प्रभारी बनकर गए, उसे चमाचम कर दिया। पुलिस स्टेशन और क्राइम ब्रांच की इस चमक पर कई बार कुछ पुलिस कमिश्नर या मुंबई क्राइम ब्रांच चीफ तक फिदा हो गए और अन्य पुलिस स्टेशनों के सीनियर इंस्पेक्टरों से कह बैठे कि तुम खुद इस तरह से अपना पुलिस स्टेशन क्यों नहीं सुंदर रखते। लेकिन इस चमक के पीछे जो रिश्वत को पैसा लगा होता था, कभी किसी पुलिस कमिश्नर या क्राइम ब्रांच चीफ ने इस पर सवाल नहीं उठाया। अरुण बोरूडे के घमंड के अतीत और वर्तमान की कहानी इसी से जुड़ी हुई है। इस अधिकारी ने एक निहायत सज्जन अंग्रेजी पत्रकार को कुछ साल पहले उसी बिल्डिंग में थप्पड़ मार दिया था, जिस बिल्डिंग में बोरूडे का वर्तमान में घर है और जिस बिल्डिंग में उस पर नाबालिग लड़की के साथ बलात्कार का आरोप लगा है। इस घमंडी पुलिस अधिकारी ने पिछले साल पहले सेंधमारी में गिरफ्तार कुछ आरोपियों की पूरे कालबादेवी इलाके में नंगे पैर और खुले सिर परेड कराई थी, जबकि नियम यह है कि बिना पहचान परेड के (जो जेल में होती है) किसी आरोपी की खुली सड़क पर परेड नहीं कराई जा सकती। यह मामला बाद में अदालत में गया। एक महिला पत्रकार को इसमें विटनेस भी बनाया गया, लेकिन पुलिस के आला अधिकारियों ने बोरूडे पर तब कोई कार्रवाई नहीं की। बोरूडे के लिए यह इशारा ही काफी था। उसके बाद बोरूडे ने ड्रंक्कन ड्राइविंग में नूरिया हवेलीवाला को पकड़ा, फिर उसे अलग-अलग जगह ले जाने से पहले उसका फोटो खींचने के लिए मीडिया को फोन कर दिया गया, ताकि किसी खास कारण से नूरिया और उसके परिवार पर दबाव पड़े। दबाव पड़ा भी और फिर दो महीने बाद इस आधार पर नूरिया जमानत पर छूट गई, क्योंकि अरुण बोरूडे ने निर्धारित 60 दिनों में उसके खिलाफ चार्जशीट ही दाखिल नहीं की। जब बोरूडे गिरफ्तार होंगे, तो इस बात की भी छानबीन होगी कि नूरिया के खिलाफ समय पर चार्जशीट दाखिल न करने के पीछे असली वजह क्या थी। अरुण बोरूडे इस बात के लिए काफी बदनाम रहे हैं कि वह किसी का काम करवाने के बदले में उससे गलत और कई बार अश्लील फेवर तक लेते हैं। कुछ साल पहले जब वह मुंबई क्राइम ब्रांच में थे, तो बॉलिवुड की एक नामी अभिनेत्री को किसी अंडरवर्ल्ड सरगना ने फोन किया। इस अभिनेत्री ने बोरूडे की मदद मांगी। क्राइम ब्रांच के एक अधिकारी के अनुसार बोरूडे ने मदद की भी, लेकिन बदले में उस अभिनेत्री से अश्लील फेवर लिया। बोरूडे 1983 के उस बैच के हैं, जिसे एनकाउंटर स्पेशलिस्ट का बैच माना जाता है। इसी बैच से विजय सालसकर भी जुड़े रहे और प्रदीप शर्मा व प्रफुल्ल भोंसले भी। इन तीनों अधिकारियों ने वाकई में एनकाउंटर किए भी, पर चूंकि बोरूडे ने प्रदीप शर्मा के साथ ज्यादातर समय काम किया, इसलिए उनके नाम के साथ भी एनकाउंटर स्पेशलिस्ट शब्द जुड़ गया। प्रदीप शर्मा से अलग होने के बाद बोरूडे पहले अंधेरी की तेली गली क्राइम ब्रांच के और फिर पवई यूनिट के मुखिया बने। इसी पवई यूनिट ने उस ख्वाजा यूनुस को गिरफ्तार किया था, जिसके बारे में आरोप है कि बाद में उसका पुलिस हिरासत में मर्डर कर दिया गया। बोरूडे बड़े पुलिस अधिकारियों की मेहरबानी से उस केस में बच गए और रिवॉर्ड के तौर पर उन्हें एलटीमार्ग जैसा महत्वपूर्ण पुलिस स्टेशन भी मिल गया, लेकिन कहते हैं कि यदि आपने कोई पाप किया है, तो उसकी सजा आपको एक न एक दिन मिलेगी ही। हर अपराध से बचने वाले इस बर्खास्त अधिकारी के साथ आज यही हुआ है। शर्मनाक बात यह है कि जिस 15 साल की उम्र की लड़की के साथ बोरूडे ने रेप किया, उतनी ही उम्र की उनकी खुद की भी लड़की है। अपने बाप के इस घिनौने पाप की सजा उस बेचारी बेटी को भी आज मिल रही है।

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