Friday, February 5, 2016

पुरुषों के समान मंदिर में प्रवेश करने और पूजा करने की अनुमति मिली



आज का दिन नारी शक्ति के लिए बहुत खास है। महिलाओं के संघर्ष का ही परिणाम है कि शनि शिंगणापुर की चार सौ साल पुरानी परंपरा खत्म हुई है और उन्हें पुरुषों के समान मंदिर में प्रवेश करने और पूजा करने की अनुमति मिली है।
खबर है कि मंदिर ट्रस्ट ने महिलाओं को मंदिर में पूजा करने करनी अनुमति दे दी है। ट्रस्टियों के मुताबिक, शनि की शिला के पास तो फिलहाल पुरुष भी नहीं जाते हैं लेकिन अगर पुरुष जाएंगे तो महिलाओं को भी जाने की इजाजत मिलेगी।
ट्रस्टियों ने शनि भगवान की पूजा करने के लिए महिलाओं को आमंत्रित किया है और कहा है कि महिलाएं भी वैसे ही पूजा करेंगी जैसे सभी लोग करते हैं। उन्होंने कहा कि महिलाओं को यहां अब कोई नहीं रोकेगा। वो पूजा कर सकती हैं। इस मामले को लेकर स्वामी दीपांकर ने मंदिर के ट्रस्टियों और सीईओ से मुलाकात की थी।
क्या था शनि शिंगणापुर विवाद
परंपरा के मुताबिक, शनि मंदिर में 400 साल से किसी महिला को शनि देव के चबूतरे पर जाकर तेल चढ़ाने या पूजन करने की इजाजत नहीं है। ट्रस्ट की मानें तो बॉम्बे हाईकोर्ट भी इसे सही ठहरा चुका है। 29 नबंवर, 2015 को एक महिला के शनिदेव के चबूतरे पर जाकर पूजा करने के बाद काफी विवाद हुआ। शिंगणापुर में पंचायत हुई और मंदिर का शुद्धिकरण किया गया था।
वहीं, भूमाता ब्रिगेड और अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति की मेंबर रंजना गवांदे ने इसे शनि मंदिर में क्रांतिकारी घटना बताकर स्वागत किया था। 15 साल पहले भी शनि मंदिर पूजा को लेकर महिलाओं ने आवाज बुलंद की थी। तब जाने-माने रंगकर्मी डॉ. श्रीराम लागू इस मुहिम से जुड़े थे।
विवाद में अब तक क्या-क्या हुआ?
भूमाता ब्रिगेड की करीब 700 महिलाओं को पुलिस ने शिंगणापुर से 75 किलोमीटर पहले रोका और हिरासत में ले लिया। भूमाता ब्रिगेड की महिलाएं तृप्ति देसाई के साथ 6 बसों में पुणे से शनि मंदिर के लिए निकली थीं। जहां वे तेल चढ़ाकर परंपरा तोड़ने वाली थीं। इसके पहले मंदिर में पूजा के एलान के बाद गांव के लोगों ने मीटिंग बुलाई। भूमाता ब्रिगेड को रोकने के लिए गांव की महिलाओं ने भी आगे आईं।

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