Thursday, July 2, 2009

बांद्रा वर्ली सी-लिंक का नाम राजीव गांधी सेतु

बांद्रा वर्ली सी-लिंक का नाम राजीव गांधी सेतु रखे जाने के प्रस्ताव के कुछ ही घंटों बाद इसके नामकरण को लेकर राजनीतिक बवाल खड़ा हो गया है। विपक्षी शिवसेना-बीजेपी गठबंधन ने इसकी आलोचना करते हुए इसका नाम स्वतंत्रता सेनानी सावरकर के नाम पर रखने पर जोर दिया। दोनों ही पार्टियों का संकेत है कि वे सी लिंक के नाम को अगले विधानसभा चुनाव में मुद्दा बनाने से परहेज नहीं करेंगे।
शिवसेना के कार्याध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने तो इस मुद्दे पर उग्र आंदोलन छेड़ने की भी मंशा व्यक्त कर दी है। सी लिंक को राजीव का नाम देने को उन्होंने 'गद्दारी' और शरद पवार की 'लाचारी' बताते हुए एनसीपी अध्यक्ष की तीखे शब्दों में आलोचना की है। वे यह पूछना भी नहीं भूले कि बात-बात पर महात्मा फुले और आंबेडकर का नाम लेने वाले कांग्रेस-एनसीपी नेताओं को इनके नाम याद क्यों नहीं आए? उन्होंने दावा किया कि सिर्फ मुम्बई में पैदा हो जाने से राजीव का नाम इससे नहीं जुड़ जाता! अगर मुम्बई के ही किसी व्यक्ति का नाम देना था तो अंग्रेजों की गाड़ी के सामने लेटकर जान देने वाले मिल मजदूर बाबू गेनू का नाम भी दिया जा सकता था। लगभग यही भावना व्यक्त करते हुए राज्य बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी ने कहा कि शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे द्वारा समुद संपर्क की आधारशिला रखे जाने के समय यह घोषणा की गई थी कि इसका नाम सावरकर के नाम पर रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस-एनसीपी सरकार सावरकर को भूल गई। गडकरी ने कहा कि जब मैं सार्वजनिक निर्माण मंत्री था तो इस समुद संपर्क को 420 करोड़ रुपए की लागत से पूरा करने की योजना बनाई गई थी लेकिन इस सरकार के रवैये के चलते इसे पूरा करने में 1,680 करोड़ रुपए लग गए। बीजेपी के राज्य महासचिव मधु चव्हाण ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सावरकर की तरह महाराष्ट्र में जन्म लेने वाले एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने समुद संपर्क के लिए राजीव गांधी का नाम प्रस्तावित किया। वहीं, भारतीय कम्युनिस्ट पाटी (सीपीआई) ने सी-लिंक को 'दरिया सारंग कान्होजी आंग्रे' का नाम देने का प्रस्ताव किया है। मुम्बई सीपीएम सेक्रटरी प्रकाश रेड्डी ने कहा कि राजीव का नाम देने की पवार की सूचना चौंका देने वाली तो है ही, यह इस बात को भी प्रदशिर्त करती है कि वे कितने असहाय हो गए हैं! उन्होंने बसों को टोल से मुक्त रखनी की मांग की है और सीपीआई की ओर से इसके लिए आंदोलन करने की चेतावनी भी दी है। इधर, उत्तर भारतीय विकास परिषद के मंगलेश्वर मुन्ना त्रिपाठी ने सी लिंक को राजीव नाम दिए जाने का स्वागत करते हुए इसे पूरी तरह टोल मुक्त करने की मांग की है। उनके अनुसार, हर कार के लिए 2500 रुपए प्रति महीने के पास की दर बहुत ज्यादा है।

इनके नाम देने का प्रस्ताव है:
विनायक दामोदर सावरकर- अंग्रेजी साम्राज्य के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले सावरकर को काला पानी की सजा हो गई। समुद्री रास्ते में ब्रिटिश पोत से कूदकर वे फ्रांस चले गए थे। 10 जुलाई को इस घटना के 100 साल पूरे हो रहे हैं।
बाबू गेनू- गांधीजी की पुकार पर विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार के दौरान ब्रिटिश कपड़ों का एक ट्रक रोकने के मिल मजदूर बाबू गेनू सड़क पर लेट गया। उसके बलिदान की याद में ही आजादी के बाद मुम्बई के सबसे प्रमुख चौराहे फ्लोरा फाउंटेन को उनका नाम दिया गया।
कान्होजी आंग्रे- शिवाजी महाराज के नौसेना नायक के इस पुत्र ने महाराष्ट्र की समुद्री सीमाएं सुरक्षित करने के लिए ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी और पुर्तगाली जहाजों से मुकाबला किया। कहा जाता है कि तब के मुम्बई द्वीप को बचाने में उनकी बड़ी भूमिका रही।

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