Thursday, January 21, 2010

टैक्सी ड्राइवर को ही लाइसेंस दिया जाएगा, जो राज्य में कम से कम 15 साल से रह रहा हो

मुंबई में एक बार फिर उत्तर भारतीयों को निशाना बनाया गया है। राज्य की कांग्रेस-एनसीपी सरकार ने
राज ठाकरे के पदचिह्नों पर चलते हुए फैसला किया है कि टैक्सी का लाइसेंस पाने के लिए मराठी जानना जरूरी है। यही नहीं इसके साथ ही 15 साल के डोमिसाइल शर्त भी जोड़ दी गई है। हालांकि सरकार ने स्पष्ट किया है कि जिनके पास पहले से टैक्सी का परमिट है, वे इस फैसले से नहीं प्रभावित होंगे। मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण की अध्यक्षता में हुई स्टेट कैबिनेट की बैठक में टैक्सी परमिट नियमों को बदलने का फैसला किया गया। मुख्यमंत्री ऑफिस के एक अधिकारी ने बताया कि अब से ऐसे टैक्सी ड्राइवर को ही लाइसेंस दिया जाएगा, जो राज्य में कम से कम 15 साल से रह रहा हो और मराठी पढ़ व लिख सकता हो।
सरकार के इस फैसले का विरोध भी शुरू हो गया है। मुंबई में टैक्सी ड्राइवरों के सबसे पुराने असोसिएशन ने इसकी आलोचना करते हुए कहा है कि यह फैसला स्वीकार्य नहीं है। असोसिएशन ने फैसले को राजनीति से प्रेरित करार दिया है। गौरतलब है कि मुंबई में करीब दो लाख टैक्सी ड्राइवर हैं और इनमें से काफी तादाद यूपी, बिहार, झारखंड और उत्तराखंड के ड्राइवरों की है। इस फैसले से इन राज्यों से आने वाले ड्राइवरों को लाइसेंस मिलने की संभावना खत्म हो जाएगी। मुंबई में हर साल चार हजार टैक्सी ड्राइवरों को लाइसेंस दिए जाते हैं।

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