Wednesday, August 20, 2014

अब कचरा दुर्गंध या परेशानी का सबब नहीं, बल्कि ईंधन, ऊर्जा एवं खाद का स्रोत

अब कचरा आपके लिए दुर्गंध या परेशानी का सबब नहीं, बल्कि ईंधन, ऊर्जा एवं खाद का स्रोत बनेगा। जी हां, बीएआरसी के वैज्ञानिकों ने बायोगैस संयंत्र को और आधुनिक बनाते हुए उच्च तकनीक का इस्तेमाल कर रि-प्रॉसेसिंग प्लांट तैयार किया है। इसके पिछले चरण के दर्जनों प्लांट मुंबई आसपास, महाराष्ट्र और देश भर में चलाए जा रहे हैं। अब इस उच्च तकनीक वाली परियोजना को 'निसर्ग' नाम दिया गया, जिसके तहत मुंबई के देवनार इलाके में रि-प्रॉसेसिंग प्लांट लगाने की तैयारी चल रही है। इस प्लांट के लगते ही देवनार डंपिंग ग्राउंड तक पहुंचने वाले हजारों टन कचरे की रि-प्रॉसेसिंग कर उसके खाद व गैस में बदला जाने लगेगा।
इस बाबत बीएआरसी में एनए ऐंड बीटीडी के हेड डॉ़ एस़ पी़ काले बताते हैं कि देश भर से रोजाना करीब एक लाख टन जैविक कचरा निकलता है, जिसे हम 'निसर्ग' प्रॉजेक्ट के तहत रि-प्रॉसेस कर खाद एवं मीथेन गैस में बदल सकते हैं। मीथेन का इस्तेमाल रसोई गैस के रूप में और बिजली उत्पादन में किया जा सकता है। डॉ़ काले के मुताबिक मकैनाइजेशन के जरिए रोजाना एक टन कचरा प्रॉसेस कर उसमें से 50-60 किलो खाद और 30-40 किलो मीथेन गैस बना सकते हैं। मुंबई में करीब 8000 टन कचरा रोज निकलता है, इस लिहाज से यहां करीब 5 लाख किलो खाद और 3 लाख किलो मीथेन गैस का उत्पादन रोजाना संभव है। यह पूरी प्रक्रिया सुरक्षित है और इससे वातावरण में कार्बनडाई ऑक्साइड भी नहीं फैलता है।

बीएआरसी के हेड (एनए ऐंड बीटीडी) एस.पी. काले ने बताया, 'गार्बेज को गार्बेज कहने की बजाय हमें रिसोर्स कहना चाहिए, जिससे हमारे खेतों को खाद, कमरों को रोशनी और किचन को रसोई-गैस मिल सकती है। हमने महाराष्ट्र में करीब 70 जगहों पर, जबकि देश भर में 180 जगहों पर रि-प्रॉसेसिंग प्लांट लगाए हैं। मुंबई के देवनार में बीएमसी से रि-प्रॉसेसिंग प्लांट 'निसर्ग' लगाने पर बात हुई है, जो अगले 3-4 महीनों में शुरू हो जाएगा। इससे लाखों टन कचरा खाद एवं गैस में कन्वर्ट हो जाएगा।'

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