Wednesday, November 26, 2014

भारत इस दर्द को भूला नहीं सकता

सार्क सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुंबई में आज ही के दिन छह साल पहले हुए आतंकवादी हमले का जिक्र करते हुए कहा कि भारत इस दर्द को भूला नहीं सकता है। उन्होंने कहा कि सार्क देश भौगलिक रूप से आस-पास है, लेकिन समय की मांग है कि साथ-साथ रहें। उन्होंने सदस्य देशों के बीच व्यापार और निवेश के लिए उपयुक्त माहौल बनाने को जोरदार वकालत की और कहा कि सार्क क्षेफ में आपसी मतभेद विकास में बाधक हैं। मोदी ने मरीजों और कारोबारियों के लिए वीजा प्रक्रिया को आसान बनाने का विचार रखा।
आर्थिक मोर्चे पर दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) देशों से प्रक्रिया सरल करने की मांग करते हुए मोदी ने कहा कि आपसी मतभेद विकास में बाधक हैं और इस वजह से हम आपस में क्षमता से काफी कम व्यापार करते हैं। उन्होंने कहा कि सार्क देशों के बीच वीजा की जगह बिजनेस ट्रैवल कार्ड होना चाहिए और कारोबार के नियम को आसान बनाने के लिए पहल करना होगा। 

इससे पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए आंतकवाद के मुद्दे पर कुछ भी नहीं बोला था। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान विवाद-मुक्त दक्षिण एशिया के लिए प्रतिबद्ध हैं, हमारी समस्याओं को सुलझाने के लिए विश्वास पर आधारित संबंधों की जरूरत है। चीन को सार्क में शामिल करने की पैरवी करते हुए शरीफ ने कहा कि पर्यवेक्षकों की सक्रिय भूमिका से इस तरह के संवाद से सार्क समूह को मदद मिलेगी।
चीन एक पर्यवेक्षक देश के तौर पर सार्क से 2005 में जुड़ा है। भारत नहीं चाहता कि चीन को सार्क का सदस्य बनाया जाए, क्योंकि उसे आशंका है कि वह इसका इस्तेमाल क्षेत्र में प्रभाव बढ़ाने के लिए करेगा। चीनी पूर्ण सदस्य न बनने की स्थिति में सार्क प्लस वन देश या फिर सार्क में डायलॉग पार्टनर की भूमिका के लिए दबाव डालता रहा है।
कल मोदी के काठमांडू पहुंचने के बाद दोनों देशों ने 11 समझौतों पर दस्तखत किए। इनमें नेपाल को एक अरब डॉलर के कर्ज, मोटर वीइकल्स समझौता, बनारस और काठमांडू के बीच ट्विन सिटी को-ऑपरेशन और पुलिस सहयोग के समझौते शामिल हैं। इस मौके पर मोदी ने भारत की ओर से काठमांडू में बनाए गए 200 बिस्तरों वाले ट्रॉमा सेंटर को भी नेपाल को सौंपा।
भगवान बुद्ध के जन्मस्थल लुंबिनी, जनकपुर और मुक्तिनाथ न जाने के अपने निर्णय के बारे में मोदी ने कहा कि समय कम होने के कारण वह वहां नहीं जा सके। उन्होंने दावा किया कि पिछले 25 वर्षों से रुके हुए द्विपक्षीय फैसलों पर अब कदम बढ़ाए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, 'मेरी पहली और दूसरी यात्रा के बीच नेपाल में जिंदगियां बदलने के लिए और भारत को खुशी देने के लिए फैसले किए गए हैं।'
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और 27 नवंबर को शिखर सम्मेलन में मोदी विभिन्न मुद्दों पर भारत की सोच सामने रखने के साथ ही अफगानिस्तान के राष्ट्रपित अशरफ गनी, बांग्लादेश की प्राइम मिनिस्टर शेख हसीना और श्रीलंका के राष्ट्रपि महिंदा राजपक्षे से मुलाकात करेंगे। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से मिलने का मोदी का कोई कार्यक्र नहीं है। 

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