Thursday, February 19, 2009

शिक्षा में बिना भरी सीटे सामान्य श्रेणी के विद्यार्थियों को देना न्यायसंगत

उचित फैसले का स्वागत होना चाहिये, शिक्षा में बिना भरी सीटे सामान्य श्रेणी के विद्यार्थियों को देना न्यायसंगत
सरकार ने उत्कृष्टता वाले 47 संस्थानों को आरक्षण के दायरे से बाहर की व्यवस्था वाले विधेयक को खत्म करने का निर्णय लिया है। इस बिल का लोकसभा में कई सांसदों ने जबर्दस्त विरोध किया था। सांसदों का दावा था कि इस विधेयक के कानून बनने से अनुसूचित जातियों और जनजातियों को आरक्षण का लाभ खत्म हो जाएगा। संसदीय मामलों के मंत्री वायलार रवि ने विवादास्पद उपबंध विधेयक से हटाने के लिए संशोधन करने की घोषणा की। इन उपबंधों में राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों और आईआईएम में 45 दिन से कम की नियुक्ति, किसी आपात राहत कार्य के लिए पद की जरूरत होने, ग्रुप 'ए' के न्यूनतम ग्रेड से उच्च पद और वैज्ञानिक या तकनीकी पद के तौर पर वर्गीकृत पद और ग्रुप 'ए' के न्यूनतम ग्रेड से उच्चतर पद होने पर आरक्षण की व्यवस्था न रखने का प्रावधान था। रवि के बयान से असंतुष्ट बीएसपी के सदस्यों ने वॉकआउट किया। बाद में, केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने सदन में बीएसपी सांसदों के व्यवहार को नौटंकी करार दिया। उन्होंने पत्रकारों से कहा कि सरकार इन संशोधनों को पहले ही मान चुकी थी। लेकिन बीएसपी सदस्य इस बारे में हुई बैठकों में आए ही नहीं। उन्होंने कहा कि बुधवार को मैं प्रणव मुखर्जी से मिला और बिल में संशोधनों के बारे में उन्हें बताया। मुखर्जी ने कहा कि आप आपस में तय कर सरकार को बता दें। सरकार को कोई ऐतराज नहीं है। उन्होंने बताया कि बिल में उसके प्रभावी होने को सरकारी अधिसूचना जारी होने से जोड़ा गया था लेकिन उसे हटाकर तुरंत प्रभावी होना जोड़ दिया गया है।

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