Monday, March 22, 2010

षडमुखानंद ऑडिटोरियम में आयोजित बिहार दिवस

सोमवार को मुंबई में हिंदीभाषियों और मराठी मानुषों के बीच फिर तलवारें खिंचने की आशंका है। वजह
है हिंदीभाषियों का एक कार्यक्रम। दो साल पहले मुंबई में उत्तर प्रदेश दिवस की धूम के बाद शुरू हुआ राज ठाकरे का तांडव थमा नहीं था कि 22 मार्च को मुंबई में पहली बार बिहार दिवस मनाने की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। 7 नवंबर, 2009 को बनाए गए बिहार फाउंडेशन ने यह तैयारी की है। फाउंडेशन के मुंबई अध्यक्ष आर.एस. श्रीवास्तव को उम्मीद है कि बिहार दिवस के बाद वैसा कुछ नहीं होगा जैसा उत्तर प्रदेश दिवस मनाने के बाद राज ठाकरे की ओर से किया गया था। उनकी दलील है कि यह समारोह जय महाराष्ट्र का जवाब कतई नहीं है, इसलिए इस पर एमएनएस या किसी को ऐतराज नहीं होनी चाहिए।
आयोजकों के मुताबिक बिहार फाउंडेशन बिहार सरकार के सौजन्य से ही बनी संस्था है, जिसका उद्देश्य राज्य से बाहर रह रहे बिहारी मूल के लोगों को बिहार के विकास के लिए प्रेरित करना है। बिहार सरकार की यह कोशिश न सिर्फ मुंबई, बल्कि बेंगलुरु, चेन्नै, दिल्ली और कोलकाता जैसे महानगरों में भी बिहार फाउंडेशन का गठन करके शुरू किया जा चुका है। इन सभी स्थानों पर फाउंडेशन की जिम्मेदारी इन राज्यों में काम करने वाले ऐसे ऊंचे ओहदे वाले अफसरों को दी गई है, जो मूल रूप से बिहार के रहनेवाले हैं। श्रीवास्तव सफाई देते हैं कि मुंबई में उत्तर प्रदेश दिवस समारोहों का स्वरूप जहां सांस्कृतिक रहा है, वहीं बिहार दिवस के मौके पर खालिस विकास पर जोर रहेगा। सोमवार को मुंबई की सबसे अधिक क्षमता वाले षडमुखानंद ऑडिटोरियम में आयोजित हो रहे बिहार दिवस समारोह में पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा बतौर मुख्य अतिथि मौजूद रहेंगे। गौरतलब है कि 22 मार्च 1912 को बिहार बंगाल से अलग हुआ था। इस मौके पर बिहार में सरकारी छुट्टी तय की गई है। सोमवार को बिहार में कई कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं।

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