Monday, March 29, 2010

बेरोजगार युवकों को ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना मुश्किल

ड्राइविंग लाइसेंस बनाने में एफिडेविट पर लगी रोक से बेरोजगार युवकों को ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना मुश्किल हो गया है। राज्य सरकार के परिवहन आयुक्त द्वारा जारी आदेश के बाद मुम्बई के तीनों क्षेत्रीय परिवहन कार्यालयों में लाइसेंस के आवेदनों में गिरावट आई है। अब तक एफिडेविट के सहारे मोटर वाहनों की रजिस्ट्री हो जाती थी और लाइसेंस मिल जाता था। हाल में परिवहन आयुक्त कार्यालय ने सम्पूर्ण साक्ष्य और औपचारिकताओं के बाद ही मोटर वाहन की रजिस्ट्री करने और लाइसेंस देने का फैसला किया है। इससे पहले एफिडेविट अथवा बीमा रसीद के आधार पर वाहनों की रजिस्ट्री कर दी जाती थी। अब वेतन प्रमाण पत्र, पॉनकार्ड, राशनकार्ड, बिजली का बिल, किरायेदार हैं, तो उसका रजिस्टर्ड एग्रीमेंट जैसे साक्ष्य प्रस्तुत करने होंगे। साथ ही जेराक्स प्रति देते समय मूल प्रति दिखाना भी अनिवार्य होगा। एफिडेविट पर रोक से ड्राइविंग लाइसेंस बनाना मुश्किल हो गया है। इस समस्या के हल और ड्राइविंग लाइसेंस के अन्य उपयोग या दुरुपयोग रोकने के लिए परिवहन विशेषज्ञों की राय है कि ड्राइविंग लाइसेंस सिर्फ ड्राइविंग के लिए उपयोग में लाया जाए और इसे किसी अन्य तरह का प्रूफ न माने जाए। इसके लिए ड्राइविंग लाइसेंस कार्ड पर लिखा जाए 'यह कार्ड सिर्फ ड्राइविंग के लिए है। जिस तरह से राज्य सरकार ने राशन कार्ड को सिर्फ राशन लेने के लिए मान्य किया है और उसे रेसिडेंशल प्रूफ के तौर पर अमान्य किया है। इसी तरह से रिलायंस एनर्जी ने भी अपने बिजली बिलों पर लिखना शुरू किया है कि यह रेसिडेंशल या अन्य किसी तरह का प्रूफ नहीं है। ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए अब तक भारत का नागरिक किसी भी आरटीओ में स्थानीय केयर ऑफ एडरेस और पते और जन्म का सर्टिफिकेट न होने पर एफिडेविट दे कर लाइसेंस बनवा सकता था। ठाणे जिले में रहने वाले कई लोग अपनी सुविधा के अनुसार मुम्बई के आरटीओ से ड्राइविंग लाइसेंस बनवा लेते थे, लेकिन एफिडेविट पर लगी पाबंदी के बाद अब यह संभव नहीं है। वाहनों के पंजीयन के लिए नया नियम ठीक है, लेकिन ड्राइविंग लाइसेंस के लिए यह उचित नहीं है। एफिडेविट पर लगी पाबंदी के बाद ड्राइविंग लाइसेंस के आवेदनों में गिरावट आई है। अंधेरी आरटीओ में लर्नर ड्राइविंग लाइसेंस की संख्या प्रति दिन 1500 से घट कर 250 रह गई है। इधर उपनगरों के पालक मंत्री नसीम खान ने इस समस्या का हल निकालने के लिए परिवहन मंत्री राधाकृष्ण विखेपाटील, परिवहन आयुक्त डी. जी. जाधव और मोटर ट्रेनिंग स्कूल मालिकों की संयुक्त बैठक बुलाई है। श्री खान से शिकायत की गई है कि आयुक्त का आदेश कानून विरोधी है। सेंट्रल मोटर ऐक्ट में एफिडेविट दे कर लाइसेंस बनवाने का अधिकार है। अंधेरी के आर.टी.ओ. इंस्पेक्टर श्री कोटकर के अनुसार अधिकांश मुम्बई-ठाणे में रहने वाले कई लोग यहां ड्राइविंग लाइसेंस बनवाते हैं जबकि उन्हें अपने प्रदेश के संबंधित जिले से लाइसेंस बनवाना चाहिए। मोटर ट्रेनिंग स्कूल मालिकों का कहना है कि मुम्बई-ठाणे में कई सालों से रहने वालों के लिए अपने गांव जा कर ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना संभव नहीं हैं। यदि ठाणे में रहनेवाला कोई नागरिक आवश्यक दस्तावेजों के साथ यदि मुम्बई के आरटीओ में लाइसेंस बनवाता है तो इसमें आपत्ती क्या है। मुम्बई का वह केयर ऑफ एडरेस दे रहा है और एफिडेविट दे रहा है तो इसे मान्य किया जाना चाहिए। वास्तव में एफिडेविट का मामला 122 विदेशी कारों के मुम्बई में रजिस्ट्रेशन से उठा है। कुछ विदेशी कारों का रजिस्ट्रेशन ट्रेवल एजेंट के पास जमा पासपोर्ट से हुआ। जिसका पता दिया गया, उसके पास कार तो दूर साइकिल भी नहीं निकली। जिन दो संदिग्ध आतंकियों ने ड्राइविंग लाइसेंस बनवाया था उसमें एफिडेविट नहीं बल्कि पासपोर्ट प्रूफ के तौर पर दिया गया था।

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