Thursday, May 15, 2014

जो टॉइलेट हैं, उसमें भी पानी नहीं

मुंबई जैसे इंटरनैशनल शहर में अत्याधुनिक मेट्रो ट्रेन के मुसाफिरों को मेट्रो स्टेशनों पर न पीने का नसीब है और न ही टॉइलेट्स। लगभग 80 सीढ़ी चढ़कर ऊपर पहुंचने के बाद मोनो स्टेशन पर लगा वॉटर कूलर पानी न पीने की हिदायत वाला पेपर चिपकाए मुंह चिढ़ा रहा है। इन स्टेशन्स पर सामान्य यात्रियों के लिए टॉइलेट ना होने से भी काफी परेशानी हो रही है। मोनो के रेकॉर्ड के मुताबिक रोजाना 2000 से 3000 लोग मोनो रेल से सफर करते हैं। अलावा इसके मोनो रेल स्टेशनों पर काम करने वाले 500 सुरक्षारक्षक भी रोज बिना इन आवश्यक नागरिक सुविधाओं के ड्यूटी कर रहे हैं।
चेंबूर स्टेशन पर तैनात एक अधिकारी ने बताया कि बीएमसी की तरफ से पानी की सप्लाई नहीं हो रही है जिसकी वजह से पीने का पानी तो छोड़िए टॉइलेट्स में भी पानी नहीं आ रहा। इस हालत में मोनो रेल की कर्मचारियों को भी बिना पानी के टॉइलेट्स यूज करना पड़ रहा है।
इस मामले में बीएमसी की तरफ से चीफ हायड्रोलिक्स इंजिनियर रमेश बांबले ने बताया कि मोनो रेल मैनेजमेंट की तरफ से उन्हें इस तरह की कोई शिकायत नहीं मिली है। जहिर दो सरकारी एजेंसियों के आपसी तालमेल का अभाव लोगों के लिए परेशानी बनकर उभरा है।
मोनो रेल के 7 स्टेशन पर काफी संख्या में स्टाफ मौजूद हैं। इनमें महाराष्ट्र सुरक्षा बल, स्कॉमी और अन्य प्राइवेट सुरक्षाकर्मी को मिलाकर हर स्टेशन पर लगभग 100 का स्टाफ हैं। इनमें से बड़ी संख्या में सिक्युरिटी के लोग शामिल हैं। गर्मी के मौसम में बिना पानी के काम कर रहे इन स्टाफ को काफी दिक्कतें हो रही हैं, जबकि मोनो रेल में यात्रा करने वाले यात्रियों को बेसिक सुविधाओं से भी महरूम होना पड़ रहा है। एमएमआरडीए ने मोनो रेल की टाइमिंग बढ़ाकर सुबह 6 से रात 8 बजे तक कर दी है। ऐसे में यात्रियों को लुभाने की कोशिश में लगी एमएमआरडीए लोगों की सुविधाओं पर ध्यान नहीं दे रही है।
मोनो रेल पर मौजूद टॉइलेट केवल गर्भवती महिलाओं के साथ डायबिटिक पेशेंट के लिए हैं। यदि आम लोगों को जरूरत पड़े तो ना जाने वो कहां जाएं, यह तो एमएमआरडीए ही बता सकती है। एक अधिकारी के अनुसार, हमारे लिए भी जो टॉइलेट हैं, उसमें भी पानी नहीं है।
देश की पहली मोनो रेल पहले से ही घाटे में चल रही है। फिलहाल इसका पहला फेज ही चालू किया गया है। मोनो स्टेशन तक पहुंचने में लोगों को कनेक्टिविटी की काफी दिक्कत होती है। अभी फिलहाल जिस रूट पर मोनो चल रही है, उस पर ज्यादा तर तो लोग घूमने के लिए ही यात्रा कर रहे हैं।
वॉटर कूलर बंद पड़ा है।
यात्री -अरे भाई, पानी पीना है। यहां तो पानी नहीं है। बच्चे परेशान हैं।
कर्मचारी -तो हम क्या करें। पानी साथ लेकर आना चाहिए। जाकर बाहर से पी लो।
यात्री -बच्चे परेशान हैं। टॉइलेट की सुविधा भी नहीं है।
कर्मचारी -इसके लिए हम कुछ नहीं कर सकते। सारे स्टेशन पर पानी नहीं है। जाकर चेंबूर में देख लो, होगा तो मिल जाएगा।
यात्री -भाई साहब, पानी नहीं है। काफी दिक्कत हो रही है।
कर्मचारी -अरे यार, आपको कहां से मिलेगा, हमें तो मिल ही नहीं रहा है। बीएमसी पानी नहीं दे रही है। हम लोगों को भी काफी परेशानी हो रही है। टॉइलेट तक में पानी नहीं है।
हमें अभी तक पानी ना मिलने की कोई शिकायत नहीं मिली है। यदि ऐसी कोई शिकायत आएगी, तो हम उस पर कार्रवाई करेंगे।
हम पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं। यदि ऐसा कुछ है तो उसे हल किया जाएगा।
पानी क्यों नहीं आ रहा है, यह हम देख रहे हैं। टॉइलेट तो नहीं है। हां, इमर्जेंसी में लोग स्टाफ टॉइलेट्स का उपयोग कर सकते हैं।

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