Monday, May 19, 2014

इंटरनैशनल टर्मिनल पर मच्छरों का आतंक जारी

नासा से लाए गए बग फाइटर से लेकर बीएमसी द्वारा चलाए गए सफाई अभियान के बावजूद मुंबई एयरपोर्ट के इंटरनैशनल टर्मिनल पर मच्छरों का आतंक जारी हैं। नालों की सफाई, सजावटी पौधों की कटाई से लेकर टर्मिनल से गलियारों में लगे हुए झरनों को भी बंद किया गया। बीएमसी के साथ मिल कर मीठी नदी की सफाई के भी प्रयास किए गए, लेकिन समस्या जस की तस है। एयरपोर्ट अथॉरिटी ने गर्मी बढ़ने के साथ टर्मिनल पर पनप रहे मच्छरों के खत्म हो जाने का अनुमान लगाया था, वह भी विफल साबित हुआ। टर्मिनल टू पर ट्रैफिक शाम सात बजे के बाद बढ़ना शुरू होता है और देर रात तक फ्लाइट्स का सिलसिला जारी रहता है। ऐसे में, रात के साथ बढ़ती मच्छरों की भिनभिनाहट से यात्री परेशान हैं।
शहर के इस नए अंतर्राष्ट्रीय टर्मिनल ने तीन महीने पहले काम करना शुरू किया, पहले दिन से ही तमाम खूबियों के वावजूद यहां यात्री, मच्छरों से जूझते, खुजाते ही नजर आए, जिसके बाद मुंबई एयरपोर्ट अथॉरिटी ने इन मच्छरों को खदेड़ने के लिए कड़े प्रयास शुरू किए।

> इस कड़ी में नासा के वैज्ञानिकों द्वारा डिजाइन किए गए 10 उपकरण पूरे टर्मिनल टू परिसर में लगाए गए। इन उपकरणों की कीमत 70 हजार रुपये तक है। इस उपकरण द्वारा हर रात 15 हजार मच्छर मारने का दावा भी किया गया।
> प्रांगण में प्रवेश के लिए बने हर दरवाजे पर मच्छर मारने के लिए बिजली की जालियां लगाई गईं।
> बीएमसी को परिस्थिति और मच्छर पनपने के कारणों का ऑडिट करने के लिए कहा गया।
> टर्मिनल पर खूबसूरती के लिए लगाए गए कुछ झरने बंद किए गए।
> दवाओं के छिड़काव के लिए अलग से कर्मचारियों की नियुक्ति।
> मच्छर पकड़ने वाले रैकेट लगाए गए।
> मच्छरों के लार्वा को मारने के लिए गप्पी मछलियां राजस्थान से मंगवाई गईं।

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