Sunday, March 8, 2009

लक्ष्मी विलास होटल मामले में राष्ट्रीय उपभोक्ता अदालत ने ग्राहकों को एक बड़ी राहत वाला फैसला दिया

शहरों में अधिकांश लोगों का होटल से पाला पड़ता ही है। कुछ लोगों के लिए होटल में खाना मजबूरी है, कुछ के लिए शौक तो कुछ के लिए फैशन है। होटल के खाने में गड़बड़ी होने पर अधिकांश लोग चुप लगा कर बैठ जाते हैं। एकाध ऐसे भी निकल आते हैं जो होटल के मालिक से शिकायत करते हैं और प्राय: होटल मालिक उन्हें ही डाट देता है। होटल मालिक दो टूक शब्दों में बोल देता है कि जाओ जो करना है कर लो चाहे जहां इच्छा हो वहां जाकर शिकायत करो। इसके बाद ग्राहक चुप लगा कर बैठ जाता है। लेकिन एलिस गर्ग बनाम एम/एस लक्ष्मी विलास होटल मामले में राष्ट्रीय उपभोक्ता अदालत ने ग्राहकों को एक बड़ी राहत वाला फैसला दिया है। एलिस गर्ग ने 115 रु. प्रति व्यक्ति भुगतान कर लक्ष्मी विलास होटल 140 लोगों की डिनर पार्टी के लिए बुक किया था। अवसर था एलिस के नाती का जन्म दिन। खाने पर कई अतिथियों ने खाने के खराब गुणवत्ता की शिकायत की। अगले दिन सुबह कई लोग बीमार हो गए। उन्हें डायरिया और उल्टी की शिकायत हुई। एलिस ने यह मसला होटल के मालिक के सामने रखा। लेकिन होटल के मालिक के रवैए से उन्हें संतोष नहीं हुआ। एलिस ने होटल के खिलाफ जिला उपभोक्ता अदालत में शिकायत की। उन्होंने होटल से मानसिक परेशानियों के लिए एक लाख रु. और चिकित्सा खर्च के लिए 50 हजार रु. की मांग की। जिला उपभोक्ता अदालत ने एलिस की शिकायत को सही ठहराया। जिला उपभोक्ता अदालत ने होटल को निर्देश दिया कि वह एलिस को 11 हजार रु. भुगतान करें। जिला उपभोक्ता अदालत के इस फैसले को होटल ने राज्य उपभोक्ता अदालत में चुनौती दी। राज्य उपभोक्ता अदालत ने जिला उपभोक्ता अदालत के फैसले को उलट दिया। इससे असंतुष्ट एलिस ने राष्ट्रीय उपभोक्ता अदालत में दस्तक दी। राष्ट्रीय उपभोक्ता अदालत ने अपने फैसले में कहा कि होटल के 10 अतिथियों ने हलफनाम दायर किया था। होटल ने किसी भी हलफनामे को चुनौती नहीं दी। राष्ट्रीय उपभोक्ता अदालत ने कहा कि इस मामले में यह कह कर जिम्मेदारी से बचने की कोशिश की जा रही है कि पार्टी का आयोजन लक्ष्मी विलास रेस्तरां में की गई थी जबकि मामले से सम्बंधित लोग लक्ष्मी विलास होटल के मालिक हैं। राष्ट्रीय उपभोक्ता अदालत ने एलिस गर्ग की शिकायत को सही ठहराया।

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