Tuesday, October 8, 2013

जख्मों से रिसता दर्द कम नहीं हुआ

 मुंबई के मझगांव इलाके में बीएमसी की पांच मंजिला इमारत को गिरे 2 हफ्ते से ज्यादा समय बीत चुका है, लेकिन अब भी इस इमारत के ढहने से मिले जख्मों से रिसता दर्द कम नहीं हुआ है। इस घटना में जख्मी हुए ज्यादातर लोगों को जेजे अस्पताल और कुछ को नायर में ऐडमिट किया गया था। जेजे अस्पताल के वार्ड नंबर 14 में 2 और सीसीयू में 2 लोग अब भी ऐडमिट हैं। इस घटना के दौरान जिन 60 लोगों की मौत हुई, उनमें से एक शख्स की अभी तक पहचान नहीं हो सकी है।
इस हादसे की शिकार दो बहनें सिमरन कांबले और श्वेता कांबले अब एक-दूसरे का सहारा हैं। सिमरन बीएमसी की पांच मंजिला इमारत के अपने फ्लैट में अपने माता-पिता और दो बहनों के साथ रहती थी। सिमरन की चाची बताती हैं कि अभी तक हमने उसे उसके परिवार के बारे में कुछ भी पता नहीं चलने दिया है। उसे कोई अखबार पढ़ने को नहीं दिया। सिमरन और श्वेता दोनों को ही पैर में गंभीर चोट लगने के साथ ही कमर में काफी ज्यादा चोट आई है। जहां सिमरन जेजे अस्पताल में भर्ती हैं, वहीं श्वेता को नायर में ऐडमिट किया गया है। घटना के बाद बीएमसी ने मलबे से निकला सामान पहचान के बाद लोगों को दिया, लेकिन कई लोग ऐसे भी हैं, जो सामान लेने नहीं पहुंच पाए हैं। सिमरन की चाची ने बताया कि पता तो चला था कि बीएमसी के लोग मलबे में से निकला हुआ सामान दे रहे थे, लेकिन हम इन दोनों को छोड़ कर कहां जाएं।
घटना में बचे दो भाई अनीश और दीप्तेश कदम भी बेसहारा हो गए हैं। इस घटना में दीप्तेश के माता-पिता दोनों की मौत हो गई है। अनीश को कुछ दिन पहले डिस्चार्ज कर दिया गया था, जबकि दीप्तेश को सोमवार की दोपहर तक डिस्चार्ज नहीं किया गया है।

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