Tuesday, April 7, 2015

छह घंटे में विधेयक बनाकर उसे दोनों सदनों में पारित करने की बधाई

महाराष्ट्र विधानमंडल के इतिहास में शायद ही इस तरह का घटना हुई होगी। दोपहर 12 बजे राज्य सरकार ने तय किया कि उसे जाति पड़ताल से चुनाव लड़ने वालों को राहत देनी है। आरक्षित सीटों पर चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार जाति सर्टिफिकेट चुनाव जीतने के छह महीने बाद जमा करवा सकेंगे। विधानसभा और विधानपरिषद की दिन भर की 'कार्यक्रम पत्रिका' में इसका कोई जिक्र तक नहीं था। विधायकों को दोपहर तक इसकी भनक तक नहीं लगी थी।
सरकार के स्तर पर फैसला हुआ और अधिकारियों की फौज इसके लिए विधेयक बनाने में जुट गई। विधानसभा और विधानपरिषद, दोनों सदनों का राजनीतिक वातावरण तपा हुआ था। परिषद तो दोपहर से भूमि अधिग्रहण पर सरकारी अधिसूचना को लेकर आठ बार स्थगित हो चुकी थी। यहां सभी पक्षों को मंजूर हो सके, ऐसा विधेयक तैयार करके उसे दोनों सदनों में पारित करवाना था। जाति पड़ताल की शर्त रखे जाने की स्थिति को नजरअंदाज करना मुमकिन नहीं था। हुआ यूं था कि स्थानीय निकाय में आरक्षित सीटों पर चुनाव लड़ने वाले सैंकड़ों मामलों में जाति सर्टिफिकेट फर्जी पाए गए। इसके बाद पिछली कांग्रेस-एनसीपी सरकार ने हर सर्टिफिकेट की पड़ताल के लिए उच्चस्तरीय समिति बना दी थी। समिति का काम इतनी धीमी गति से चल रहा था कि महाराष्ट्र भर में डेढ़ लाख जाति पड़ताल की अर्जियां पेंडिंग हैं। सभी राजनीतिक दलों को इससे परेशानी हो रही थी। आनन-फानन में नए विधेयक का ड्राफ्ट बना। शुरुआत में तय हुआ कि महानगरपालिकाओं में यह सुविधा लागू की जाए। फिर बाकी नगरपालिकाओं में इसकी सुविधा क्यों न दी जाए, यह सवाल उठा, तो एक बार फिर ड्राफ्ट बदला गया। होते-होते यह तय हुआ कि जिला परिषदों और पंचायतों को यह सुविधा क्यों न दी जाए। शाम होते-होते कई प्रारूप बदले जाने के बाद विधेयक बनकर तैयार हुआ।

विधानसभा में संसदीय कार्य मंत्री गिरीश बापट ने सदन को बताया कि विधानपरिषद में विधेयक पर चर्चा हो रही है। जबकि परिषद में हंगामा कायम रहा और विधानसभा विधेयक पारित करके दिन भर के लिए स्थगित हो गई। तब तक चर्चा नहीं हो पाई। वरिष्ठ मंत्री एकनाथ खडसे ने विधेयक सदन में रखने का काफी प्रयास किया, मगर वे सफल नहीं सके। देर शाम शोरगुल और हंगामे के बीच बिना किसी चर्चा के विधानपरिषद में उपसभापति वसंत डावखरे ने विधेयक पारित होने की घोषणा की। विधेयक के लिए दिन भर जुटे पड़े मंत्री समूह और वरिष्ठ अधिकारियों के मुरझाए चेहरे खिल उठे। छह घंटे में विधेयक बनाकर उसे दोनों सदनों में पारित करने की बधाई एक-दूसरे देते हुए विधानभवन से हंसते-मुस्कुराते घरों को रवाना हुए।-महानगरपालिका, नगरपालिका, जिला परिषद और पंचायतों की आरक्षित सीटों पर चुने जनप्रतिनिधियों को रियायत-चुनाव जीतने के छह महीने बाद जाति पड़ताल सर्टिफिकेट जमा कराने की छूट-यह रियायत 2017 तक के स्थानीय निकाय चुनावों तक लागू रहेगी।
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यह वास्तव में एक तरह का इतिहास रचा गया है। दोपहर 12 बजे से हम (अधिकारी) इस काम में जुटे हुए थे। विधेयक दोनों सदनों में पारित होने के बाद मन को संतोष हुआ।'

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