Thursday, August 13, 2015

कोर्स पूरा हुए बिना रूम छोड़कर जाने से साफ इनकार

फिल्म ऐंड टेलिविजन इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया ( FTII) प्रशासन ने 2008 बैच के 30 छात्रों नोटिस जारी कर फौरन होस्टेल खाली करने का निर्देश दिया था, मगर उन्होंने अपना कोर्स पूरा हुए बिना रूम छोड़कर जाने से साफ इनकार कर दिया है।
उनका आरोप है कि इंस्टिट्यूट के नए डायरेक्टर प्रशांत पाथरबे मनमानी पर उतर आए हैं और इस बैच के 50 छात्रों की 13 डिप्लोमा फिल्मों का जबरन असेसमेंट करवाने का आदेश जारी कर दिया है, जबकि इनमें से अधिकतर फिल्में अभी अधूरी है।
एक भुक्तभोगी छात्र ने कहा, 'न तो इन फिल्मों की एडिटिंग हुई है, न ही साउंड का काम हुआ है। काम अभी चल ही रहा है। जब फिल्म पूरी ही नहीं हुई, तो इनका असेसमेंट किस आधार पर होगा, एग्जामिनर नंबर किस तरह देंगे और रिजल्ट कैसे निकलेगा? आखिर यह जल्दबाजी क्यों? क्या सिर्फ होस्टेल खाली कराने और कैंपस से रवाना करने के इरादे से यह सब किया जा रहा है?'
इस बीच, FTII प्रशासन ने कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वाले 80 लोगों को आगामी एक सितंबर से बोरिया-बिस्तर समेट लेने का आदेश दिया है। उनकी जगह बाल चित्र वाणी के लोगों को कैंपस में बुलाए जाने की चर्चा है। सरकार और आंदोलनकारी छात्रों के बीच विवाद का केंद्र बने 'महाभारत के धर्मराज युधिष्ठिर' गजेंद्र चौहान सूचना-प्रसारण मंत्रालय के अगले आदेश के इंतजार में तैयार बैठे हैं। उन्होंने बुधवार को एक खास मुलाकात में कहा, 'दिल्ली से मंत्रालय जैसे ही जॉइनिंग लेटर और सोसाइटी की मीटिंग बुलाने का निर्देश आएगा, मैं पुणे जाकर फौरन अपना काम शुरू कर दूंगा। वे अपना काम करें और मुझे अपना काम करने दें। छात्रों को विश्वास में लेकर ही मैं इंस्टिट्यूट के सर्वांगीण विकास की रूपरेखा तैयार करूंगा। वे मेरे काम के आधार पर बेशक मेरा मूल्यांकन करें। अगर उन्हें मेरे काम में कोई कमी नजर आए, तो मुझे टोकें या विरोध करें।'


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