Monday, July 20, 2015

किसान मौसम और कर्ज की मार से पीड़ित

मौसम और बाजार की मार के बेहाल किसानों को सरकार कर्ज मुक्त करेगी या नहीं, आज विधानसभा में इसका फैसला हो सकता है। बहुत संभव है कि सोमवार को मुख्यमंत्री इस मुद्दे पर सदन में हुई बहस का जवाब देंगे  महाराष्ट्र की राजनीति और विधानमंडल के मॉनसून सत्र का भविष्य बहुत हद तक मुख्यमंत्री के जवाब से प्रभावित होने की संभावना है। क्योंकि एक तरफ विपक्ष किसानों की कर्ज माफी की मांग पर एकजुट है, तो सत्ता में शामिल शिवसेना भी किसानों की कर्जमुक्ति की मांग कर रही है। अगर मुख्यमंत्री ने किसानों की संपूर्ण कर्ज माफी की मांग मानने से इनकार कर दिया, तो विपक्ष का आक्रामक होना लाजिमी है, लेकिन शिवसेना क्या रुख अख्तियार करेगी, इस बारे में अभी कुछ स्पष्ट नहीं है।
किसानों की कर्ज माफी के बारे में सदन के बाहर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और राजस्व मंत्री एकनाथ खडसे अपनी प्रतिकूलता दर्शा चुके हैं। इन दोनों के सदन से बाहर दिए गए बयानों से यही अंदाजा लगाया जा रहा है कि सरकार किसानों की संपूर्ण कर्ज माफी की मांग को नहीं मानेगी। अलबत्ता किसानों को आंशिक कर्ज माफी या ब्याज में माफी मिल सकती है। इसके अलावा सरकार किसानों को खुश करने के लिए विभिन्न तरह के अनुदान और अन्य सुविधाओं की घोषणा कर सकती है। इसमें फलदार पेड़ लगाने के लिए अनुदान, खाद, बीज और कृषि पंप और कृषि यंत्र खरीदने के लिए अनुदान भी शामिल हैं।
विपक्ष द्वारा किसानों की कर्ज माफी के प्रस्ताव पर बीते गुरुवार और शुक्रवार दो दिन विधानसभा में जोरदार बहस हुई है। इस बहस में विपक्ष के प्रमुख नेताओं ने किसानों की कर्ज माफी की जोरदार पैरवी की है।
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कर्ज में डूबे होने के कारण किसान लगातार आत्महत्या कर रहे हैं। महाराष्ट्र को कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है, जहां किसानों ने आत्महत्या नहीं की है। किसान अपने सूइसाइड नोट में सरकार की अंसवेदनशीलता को आत्महत्या के लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। अगर सरकार संवेदनशील है, तो तत्काल कर्ज माफी घोषित करे।
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महाराष्ट्र का गन्ना उत्पादक किसान, कपास उत्पाद किसान, दूध उत्पादक किसान, फल उत्पादक किसान हर कोई मौसम और कर्ज की मार से पीड़ित है। उसे सरकारी सहारे की जरूरत है। वह मदद के लिए सरकार की ओर देख रहा है। उसे कर्ज से मुक्ति मिलनी चाहिए।   'सरकार कह रही है कि राज्य पर कर्जे का बोझ है और वह किसानों की कर्ज माफी से पढ़ने वाला बोझ नहीं उठा सकती, लेकिन आज कौन कर्ज में नहीं है। महाराष्ट्र पर आज जो कर्ज है, वह उसकी जीडीपी की तुलना में 17 पर्सेंट है। 24 पर्सेंट तक भी अगर यह कर्ज जाता है, तो महाराष्ट्र की अर्थ व्यवस्था में उसे चुकाने की क्षमता है। यह बात 13वें वित्त आयोग की रिपोर्ट में कही गई है।
'2008
में जब किसानों को कर्ज मुक्ति दी गई थी तो उसका फायदा किसानों को नहीं, बल्कि सहकारी बैंकों को हुआ था। किसानों के कर्ज के रूप में सारा पैसा बैंकों के पास चला गया। आज अगर किसानों को कर्ज माफी दी गई, तो 24000 करोड़ रुपये कहां से आएंगे? इसलिए मुख्यमंत्री चाहते हैं कि किसानों की कर्ज माफी की बजाए उनकी आर्थिक स्थिति सुधारने का काम किया जाए।
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हम किसानों की वजह से ही सत्ता में आए हैं। 200 लोगों को किसानों ने विधायक बनाया है। हम किसानों को किंग कहते हैं, लेकिन सबसे ज्यादा वहीं पीड़ित हैं। किसानों को कर्जमुक्ति मिलनी ही चाहिए।

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