Tuesday, September 9, 2014

नेता अब तक मोदी फोबिया से उबर नहीं पाए

महाराष्ट्र विधानसभा का चुनाव सिर पर आ गया है, लेकिन राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस-एनसीपी सरकार के नेता अब तक मोदी फोबिया से उबर नहीं पाए हैं। कांग्रेस मुक्त महाराष्ट्र का नारा देने वाली बीजेपी-शिवसेना को अपने पांच साल के विकास कामों से जवाब देने के बजाय वे मोदी सरकार के 100 दिन के कार्यकाल की नाकामियां गिनाने में जुटे हैं।
रविवार को महाराष्ट्र कांग्रेस समिति की ओर से मराठी में प्रकाशित 'जिंकणारच' (जीतेंगे-ही) और 'मोदींनी केली जनतेची फसवणूक' (मोदी ने दिया जनता को धोखा) नामक पुस्तिका का विमोचन कार्यक्रम आयोजित किया गया था। कार्यक्रम में मीडिया को भी बुलाया गया था। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण, प्रदेश अध्यक्ष माणिकराव ठाकरे, चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष नारायण राणे और चुनाव समन्वय समिति के अध्यक्ष अशोक चव्हाण मौजूद थे। कांग्रेस के इस समूचे कार्यक्रम में मोदी ही छाए रहे। महाराष्ट्र कांग्रेस के आला नेताओं ने अपनी पिछले पांच साल की उपलब्धियां गिनाने के बजाए मोदी 100 दिन की नाकामियां गिनाईं। कांग्रेस ने मोदी से सवाल पूछा कि वे राम मंदिर कब बनाएंगे? मुख्यमंत्री ने सवाल उठाया कि मोदी सरकार विदेशी बैंकों में जमा कालाधन कब वापस लाएंगी?
हालांकि पिछले दिनों तिलक भवन में मुख्यमंत्री चव्हाण और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष माणिकराव ठाकरे प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाकर मोदी सरकार के 100 दिन के कार्यकाल की नाकामियां गिना चुके हैं, इसलिए मीडिया को उम्मीद थी कि इस बार सरकार अपनी उपलब्धियां गिनाएगी। गौरतलब है कि कांग्रेस-एनसीपी की आघाडी सरकार पिछले 15 साल से राज्य की सत्ता पर काबिज है। इन 15 सालों में राज्य सरकार ने कई सारे विकास कामों को अंजाम दिया है, बावजूद इसके सरकार उनके बारे में बात क्यों नहीं करती यह एक पहेली बन गई है।
यही हाल एनसीपी का है। पार्टी प्रवक्ता नवाब मलिक मीडिया के सामने जब तक मोदी सरकार को कोस नहीं लेते तब तक उनकी बात पूरी नहीं होती। हालांकि एनसीपी चीफ शरद पवार खुद कह चुके हैं कि 100 दिन का कार्यकाल कोई मायने नहीं रखता। वे मोदी सरकार के मूल्यांकन के लिए और ज्यादा समय देने की बात कह चुके हैं।

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