Monday, December 15, 2014

मुंबई से सूरत तक भूमिगत मार्ग बनाने की योजना

मुंबई से सूरत के बीच 277 किलोमीटर की दूरी को तय करने के लिए इन दोनों शहरों के बीच भूमिगत मार्ग बनाने की योजना बनाई जा रही है। प्रारंभिक अनुमान के मुताबिक इस योजना की लागत 90 हजार करोड़ रुपए होगी। मुंबई अहमदाबाद हाइवे को जोड़कर इसे एक रिंग रोड के रूप में भी विकसित किया जाएगा। वर्तमान में मुंबई से सूरत तक का सफर तय करने में साढ़े चार घंटे का समय लगता है। भूमिगत मार्ग बनने से इसमें कमी आएगी।
यह महत्पूर्ण घोषणा केंद्रीय सड़क परिवहन और हाइवे मंत्री नितिन गडकरी ने की। वे शनिवार को मुंबई में आयोजित इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ ब्रिज इंजिनियर्स (आईआईबीई) के रजत जयंती समारोह में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि फिलहाल यह योजना विचार के स्वरूप हैं और जल्दी ही इस परियोजना के तमाम पहलूओं का अध्ययन करने के लिए सलाहकारों की नियुक्ति की जाएगी। इसके बाद वास्तविक प्रारूप तैयार कर परियोजना शुरू की जाएगी। गडकरी ने कहा कि यातायात प्रणाली में सुधार लाने और यह सुनिश्चित करने कि पुलों, सडकों का निर्माण करते समय शहर की खूबसूरती न बिगड़े, भूमिगत मार्ग की संकल्पना सामने आई है।
गडकरी ने कहा कि इस परियोजना में लगने वाला कच्चे माल तैयार करने के लिए अलीबाग में एक कारखाना बनाने का विचार है। इस बात का अध्ययन किया जा रहा है कि क्या यहां कच्चे माल का ट्रांसपोर्टेशन समुद्र मार्ग से किया जा सकता है। अगर यह संभव हो गया तो परियोजना की लागत में 30 हजार करोड़ रुपए की कमी आ जाएगी।
इस अवसर पर नितिन गडकरी ने कहा कि भारत में हर साल 5 लाख रोड ऐक्सिडेंट होते हैं। इसकी वजह है ट्रैफिक की समस्या। इस पर उपाय तलाशने की दृष्टि से मुंबई में जमीन और पानी दोनों पर चलने वाली 'डैक बस' शुरू करने पर विचार हो रहा है। आने वाले कुछ महीनों में प्रायोगिक तौर पर डैक बस शुरू की जाएगी। अगर यह प्रयोग सफल रहा तो लोगों को रेल किराए से कम पैसे में सफर करने को मिलेगा। इससे समय, ईंधन और पैसे तीनों की बचत होगी।

इस अवसर पर आईआईबीई के संस्थापक माधव भिडे, रेल्वे इंजिनियरिंग बोर्ड के सदस्य इंजिनियर वी. के. गुप्ता, सड़क विकास विभाग के संचालक और विशेष सचिव एस. एन. दास, आईआईबीई के अध्यक्ष वी. के. अग्निहोत्री और बड़ी संख्या में इंजिनियर्स उपस्थित थे।

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