Monday, December 22, 2014

कांग्रेस के कुछ विधायक महाराष्ट्र बीजेपी के संपर्क में थे

महाराष्ट्र बीजेपी में दूसरे नंबर के नेता एकनाथ खडसे ने खुलासा किया है कि सरकार बनाने से पहले कांग्रेस के कुछ विधायक उनके संपर्क में थे, जो बीजेपी सरकार को समर्थन देने के लिए तैयार थे। खडसे यह भी दावा किया है कि कांग्रेस के विधायक पार्टी छोड़कर बीजेपी के टिकट पर फिर से चुनाव लड़ने के लिए भी तैयार थे, लेकिन अब खडसे को वह सभी विधायक अनुपयोगी लगने लगे हैं। खडसे कहते हैं कि हमें उनकी अब कोई आवश्यकता नहीं है। सरकार के पास पूर्ण बहुमत है, इसलिए कांग्रेस के विधायकों को तोड़ने में हमें कोई दिलचस्पी नहीं है। हालांकि, खडसे यह बताने से नहीं चूके कि कांग्रेस के उन विधायकों के साथ आज भी उनके अच्छे संबंध हैं।
खडसे का यह बयान उस समय आया है, जब कांग्रेस के 3 विधायकों के बगावत की खबर गरम है। कांग्रेस के बगावत का फायदा अब बीजेपी को नहीं, बल्कि एनसीपी को हो सकता है। एनसीपी अपने नेता अजित पवार को विरोधी पक्ष नेता की लालबत्ती दिलाने के लिए हर तरह की जोड़तोड़ में लगी है, क्योंकि विधानसभा में कांग्रेस के 42 विधायक हैं, जबकि एनसीपी के 41 विधायक हैं। दादा को लालबत्ती लेने के लिए कांग्रेस को फोड़ना होगा। माना जा रहा है कि खडसे के व्यक्तिगत संपर्क में रहने वाले कांग्रेस के वे विधायक एनसीपी के संपर्क में हैं। नागपुर के ठंडे मौसम में कांग्रेस से उठ रही बगावत की खबर ने यहां की राजनीति में गर्मी पैदा कर दी है।
गौर करने की बात यह है कि कांग्रेस और एनसीपी के विधायकों की संख्या में महज एक का अंतर है। कांग्रेस के बागी बनने का फायदा एनसीपी को मिलेगा। खडसे भले ही उन विधायकों में दिलचस्पी नहीं लेने की बात कर रहे हों, पर माना जा रहा है कि दादा (अजित पवार) को लालबत्ती गाड़ी दिलाने के लिए खडसे के व्यक्तिगत संपर्क का उपयोग किया जा रहा है।
राज्य कैबिनेट में दूसरे नंबर के मंत्री एकनाथ खडसे ने साफ किया कि उनकी और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के बीच कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है। उन्होंने यह जरूर कहा कि वे भी मुख्यमंत्री बनना चाहते थे, लेकिन पार्टी को जो सही लगा, उसने किया। खडसे ने कहा कि उन्होंने देवेंद्र को हमेशा प्रोत्साहित किया है। उनके और मुख्यमंत्री के बीच तालमेल था और आज भी है। प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के बारे में उनका कहना है कि पार्टी ने तीन बार उन्हें अध्यक्ष बनने का मौका दिया, लेकिन हर बार उन्होंने स्वास्थ्य कारणों से मना कर दिया। सुधीर मुनगंटीवार को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने से पहले पार्टी ने उनसे पूछा था। उनके मुताबिक देवेंद्र को भी प्रदेश अध्यक्ष बनाते वक्त तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने उनसे बात की थी।

नागपुर का यह सत्र बिना विरोधी पक्ष नेता के ही चल रहा है। इस बारे में खडसे का कहना है कि इसके लिए पूरी तरह से कांग्रेस-एनसीपी ही जिम्मेदार हैं। खडसे के मुताबिक इसमें सरकार की कोई भूमिका नहीं है, कांग्रेस ने विधानसभा में विरोधी पक्ष नेता पद पर दावा किया है और एनसीपी ने परिषद और सभा में दोनों जगहों पर यह पद मांग रखा है। इस संबंध में सरकार ने महाधिवक्ता से कानूनी राय मांगी है, जिसका बहुमत हो उसे नेता विपक्ष का पद मिलना चाहिए।

No comments:

Post a Comment