Friday, March 27, 2015

किसी भी मंत्री ने अपनी प्रॉपर्टी का ब्यौरा सार्वजनिक नहीं किया

महाराष्ट्र के किसी भी मंत्री ने अपनी प्रॉपर्टी का ब्यौरा सार्वजनिक नहीं किया है। एक आरटीआई आवेदन पर सरकार से मिले जवाब से इस बात का खुलासा हुआ है। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने महाराष्ट्र सरकार से राज्य मंत्रिमंडल के मंत्री और राज्यमंत्रियों की प्रॉपर्टी और उनसे जुड़े हुए लोगों की वित्तीय जानकारी मांगी थी। सामान्य प्रशासन विभाग के जन-सूचना अधिकारी और अवर सचिव डी.वी. नाईक ने बताया कि इस मामले में कोई भी जानकारी उपलब्ध नहीं है। इसलिए यह जानकारी नहीं दी जा सकती है।
मुख्यमंत्री सहित 18 मंत्री और 12 राज्यमंत्री फडणवीस मंत्रिमंडल में शामिल हैं। मुख्यमंत्री को राज्यपाल के पास और अपने मंत्रियों एवं राज्यमंत्रियों का ब्यौरा पेश करना होता है। मंत्रियों के संपत्ति का विवरण सार्वजनिक करने की लड़ाई आरटीआई के माध्यम से लड़ी जा रही है। इसी तरह का ब्यौरा महाराष्ट्र की पिछली कांग्रेस-एनसीपी सरकार से भी मांगा गया था। काफी दबाव बनाने के बाद जिन मंत्रियों ने विवरण पेश दिया था, उनके सिर्फ नाम ही ऑनलाइन गिनाए गए थे। तत्कालीन 'मिस्टर क्लीन' मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने मंत्रियों की प्रॉपर्टी की जानकारी को सार्वजनिक करने की मांग खारिज कर दी थी।
पारदर्शक और स्वच्छ कामकाज का दावा कर सत्ता पर बीजेपी के नेतृत्व वाली फडणवीस सरकार से इस बारे में उम्मीद बंधी थी। 14 नवंबर, 2014 और बाद में 9 मार्च 2015 को 2 पत्र मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को लिखे गए थे। इस पर हुई कार्रवाई के बारे में भी जानकारी आरटीआई में मांगी गई थी। ताजा जानकारी में सरकार ने बताया है कि 27 नवंबर 2014 से मुख्यमंत्री के पास इसकी फाइल पेंडिंग है।

गलगली ने खेद व्यक्त किया है कि केंद्र और बिहार की तर्जपर राज्य के सभी मंत्रियों की प्रॉपर्टी की जानकारी ऑनलाइन की जाए, इतनी सी बात का खुलासा मुख्यमंत्री या उनका कार्यालय 117 दिन तक नहीं कर पाए हैं। इसे सिटीजन चार्टर और सेवा का अधिकार का उल्लंघन बताते हुए मुख्यमंत्री को एक बार फिर लिखा गया है।
गृह राज्यमंत्री रणजीत पाटील की संपत्ति की पड़ताल का मुद्दा महाराष्ट्र विधानसभा में गूंजा। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विधानसभा को बताया कि राज्यमंत्री की संपत्ति की जांच अमरावती के भ्रष्टाचार निरोधी पुलिसअधीक्षक को सौंपी गई है। कांग्रेस नेता जयंत पाटील ने यह मुद्दा उठाया था। इस बारे में छपी खबरों पर उन्होंने सरकार से खुलासे की मांग की। मुख्यमंत्री ने बयान देकर सफाई दी। उन्होंने बताया कि अकोला के आरटीआई कार्यकर्ता प्रह्लादराव काटे ने भ्रष्टाचार निरोधी पुलिस महानिदेशक को इस बारे में पत्र लिखा था।
सीएम ने सदन को बताया कि इस तरह का आवेदन मिलने पर जांच के लिए संबंधित विभागीय अधिकारी को पड़ताल सौंपी जाती है। इसी के अनुरूप पड़ताल का काम अमरावती के पुलिस अधीक्षक को सौंपा गया है। उनकी रिपोर्ट मिलने के बाद कार्रवाई की जाएगी। डॉ रणजीत पाटील मुख्यमंत्री के अधीन विधि व न्याय, सामान्य प्रशासन, नगरविकास जैसे महत्वपूर्ण विभागों के भी राज्यमंत्री हैं।

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